tag:blogger.com,1999:blog-1527701955040013649.post4133473834810495248..comments2024-03-04T16:39:21.414+05:30Comments on हिंदी-आभा भारत : सूखती नदी और बादल की चिंता Ravindra Singh Yadavhttp://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1527701955040013649.post-27149545875608332072021-07-22T06:25:36.683+05:302021-07-22T06:25:36.683+05:30रवींद्र जी बहुत अच्छी रचना हैं...। आप बेहतर समझें ...रवींद्र जी बहुत अच्छी रचना हैं...। आप बेहतर समझें तो प्रकृति दर्शन के लिए प्रेषित कर सकते हैं...editorpd17@gmail.com<br />अपना संक्षिप्त परिचय और फोटोग्राफ भी भेजियेगा...।PRAKRITI DARSHANhttps://www.blogger.com/profile/10412459838166453272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1527701955040013649.post-59404844575293585462021-07-21T22:46:01.850+05:302021-07-21T22:46:01.850+05:30नदी और बादल का यह संवाद मनुष्य को उसकी गलतियाँ याद...नदी और बादल का यह संवाद मनुष्य को उसकी गलतियाँ याद दिलाकर भविष्य का भयानक मंजर आँखों के सामने सजीव कर देता है -<br />उसकी चपल चंचला उँगली से <br />परमाणु-बटन दब जाए!<br />परमाणु बम की असीमित ऊर्जा से <br />जल सकते हैं ज़मीं-आसमां,<br /> विकास के नाम पर मदांध मनुष्य की हरकतों के आगे प्रकृति के तत्त्व बेबस दिखाई पड़ते हैं- कटते पेड़, सूखती नदी, सिकुड़ते तटबंध...<br />परंतु जब प्रकृति अपने इन तत्त्वों की बेबसी का बदला निर्दयतापूर्वक मनुष्य से लेती है तब मनुष्य कलियुग और ग्रहों की स्थिति को जिम्मेदार ठहराता है।Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1527701955040013649.post-6860211839382660702021-07-21T12:02:35.389+05:302021-07-21T12:02:35.389+05:30सुन्दर रचनासुन्दर रचनाOnkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1527701955040013649.post-81010997880089491782021-07-21T11:28:06.099+05:302021-07-21T11:28:06.099+05:30आदमी से कहो!
बस, तूने हद पार कर दी!
सुन! ओ भोली न...आदमी से कहो! <br />बस, तूने हद पार कर दी!<br />सुन! ओ भोली नदी!<br />भविष्य की चिंता को व्यक्त करता भावपूर्ण सृजन सर! <br /><br />प्रकृति के साथ हो रही हदें पार, <br />जिससे विलुप्त हो रहा जन्तुओं का अस्तित्व आज, <br />दूषित हो रही हवायें और जल की धार,<br />शुद्ध हवा और पानी को हो रहें मोहताज, <br />फिर भी नहीं सुधर रहा ये इंसान!! <br />Manisha Goswamihttps://www.blogger.com/profile/10646619362412419141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1527701955040013649.post-9437842739565921492021-07-21T11:26:06.525+05:302021-07-21T11:26:06.525+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Manisha Goswamihttps://www.blogger.com/profile/10646619362412419141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1527701955040013649.post-16268098063540245702021-07-21T11:04:05.715+05:302021-07-21T11:04:05.715+05:30 अत्यंत सार पूर्ण अभिव्यक्ति!! अत्यंत सार पूर्ण अभिव्यक्ति!! Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1527701955040013649.post-53921702390113781142021-07-21T10:19:56.962+05:302021-07-21T10:19:56.962+05:30मैं पतझड़ के पत्ते-सा न गिरता हूँ,
यायावर-सा ठेठ सच...मैं पतझड़ के पत्ते-सा न गिरता हूँ,<br />यायावर-सा ठेठ सच लिए फिरता हूँ,<br />निःशब्द करती रचना - - गहन अर्थ के साथ कथोपकथन करती हुई बढ़ते चली जा रही हो जैसे सुदूर मुहाने की ओर, साधुवाद आदरणीय। Shantanu Sanyal शांतनु सान्यालhttps://www.blogger.com/profile/06457373513221191796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1527701955040013649.post-68071560346041531352021-07-20T22:38:40.827+05:302021-07-20T22:38:40.827+05:30जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल...जी नमस्ते ,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार(२१-०७-२०२१) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />'सावन'(चर्चा अंक- ४१३२)</a> पर भी होगी।<br />आप भी सादर आमंत्रित है। <br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1527701955040013649.post-75452038308206621332021-07-11T13:56:44.856+05:302021-07-11T13:56:44.856+05:30वाह!अनुज रविन्द्र जी ,बेहतरीन सृजन । नदी और बादल क...वाह!अनुज रविन्द्र जी ,बेहतरीन सृजन । नदी और बादल के संवाद ,आज की वास्तविकता का दर्शन <br />कराते हैं और साथ ही भविष्य की चिंता भी । शुभा https://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1527701955040013649.post-36289374186228130672021-07-11T12:49:55.243+05:302021-07-11T12:49:55.243+05:30सुन्दर सृजनसुन्दर सृजनसुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com