पेज

पेज (PAGES)

मंगलवार, 15 नवंबर 2016

बहुरुपिया

बहुरुपिया आया.............!!!!!

बहुरुपिया आया...................!!!!!

शोर  सुनकर  कौतूहलवश

बच्चे, बूढ़े, अधेड़, जवान  सभी

देखने  आये  लपककर

पहले  वह  धवल  वस्त्र  धारण  कर

योगी  के  वेश  में  आया

सड़क  के  दोनों  ओर

बनी दुकानों, छतों  और  बालकनी  से  देख  रहे  लोग

सत्कार भाव से

सराह  रहे  थे  निहार  रहे  थे  उसका  वियोग

अगले  दिन  हाथ  में  लाठी  लिये

शीटी  बजाता  हुआ  चौकीदार  बनकर  आ  गया

बच्चों  को  खूब  भा  गया

कभी  भगवान  बनकर  आया

कभी  कसाई  बनकर  आया

एक  दिन  मजनूं   बनकर  आ  गया

फिर  सैनिक  बनकर  आया

अगले  दिन  डॉक्टर  का  आला  गले  में  डालकर  आ  गया

सात  दिन  जनता  का  मनोरंजन  किया

आठवें  दिन   नाटकीयता  के  बदले  आशीर्वाद  मांगने आ  गया

लोगों ने  यथाशक्ति  उसे  नोट  दिये

ज़ेहन  में  बहुरुपिया  के  नकली  रूप  नोट  किये.......

बच्चों  को  बड़ों  ने  सीख  दी..... 

यह  शख़्स   केवल  मनोरंजन  के  लिये  है..... !

इतने  रूप  अनापेक्षित  हैं  एक   जीवन  के  लिये................!!

#रवीन्द्र सिंह यादव 




4 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (१८-०७-२०२०) को 'साधारण जीवन अपनाना' (चर्चा अंक-३७६६) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  2. यह शख़्स केवल मनोरंजन के लिये है..... !

    इतने रूप अनापेक्षित हैं एक जीवन के लिये................!!
    बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!!अनुज रविन्द्र जी ,क्या बात है इतने रूप अनापेक्षित हैं एक जीवन के लिए ..।वाह!

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी का स्वागत है.