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गुरुवार, 13 सितंबर 2018

दो क्षणिकाऐं

                                                                             
1.

जनता कहती 

सता रही है 

महँगाई की मार

नेताओं को 

पहनाओ अब 

सूखे पत्तों के हार। 

लेने वोट हमारा 

नेता 

झुकते बारम्बार

जीत गये तो 

इनका सजता  

सुरक्षित शाही दरबार।  




2. 


इबादत-गाहों में 

रहते कैसे-कैसे 

परमेश्वर के 

सेवादार

शराफ़त का हैं 

ओढ़े लबादा 

 पतित अधर्मी 

धर्म के ठेकेदार। 
  
© रवीन्द्र सिंह यादव



5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (23-08-2020) को    "आदिदेव के नाम से, करना सब शुभ-कार्य"   (चर्चा अंक-3802)    पर भी होगी। 
    --
    श्री गणेश चतुर्थी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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  2. सुन्दर प्रस्तुति

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  3. बहुत सुंदर और सार्थक सृजन

    जवाब देंहटाएं
  4. लेने वोट हमारा

    नेता

    झुकते बारम्बार,

    जीत गये तो

    इनका सजता

    सुरक्षित शाही दरबार

    बहुत सटीक...
    बस वोट लेने ही झुकते हैं बाकु तो अपने शाही दरबार से बाहर नजर नहीं आते।
    बहुत सुन्दर सार्थक लाजवाब सृजन
    वाह!!!

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  5. वाह!लाजवाब क्षिणकाएँ।
    समय जो भी हो हर समय सटीक बैठती।
    सादर प्रणाम सर ।

    जवाब देंहटाएं

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