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शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

रेल-हादसा (वर्ण पिरामिड)



1. 

था 

क्रूर 

हादसा 

दशहरा 

अमृतसर 

रेल-रावण को 

दोष मढ़ते हम। 


2. 

ये

नेता  

मौत में 

तलाशते 

अपनी जीत 

संवेदना लुप्त 

दोषारोपण जारी। 


3. 

वे 

लेते 

वेतन 

सरकारी 

हैं अधिकारी 

ओढ़ते लाचारी 

क्यों जनता बेचारी? 



4. 

थी 

एक 

जिज्ञासा 

रावण को 

देखें जलता 

वीडियो बनाते 

क्षत-विक्षत हुए। 


5. 

है 

छाया 

मातम 

शहर में 

चीख़-पुकार 

  मौन है मंज़र 

हुए यतीम बच्चे।  

© रवीन्द्र सिंह यादव 

2 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग पर तकनीकी अपडेट के चलते कुछ टिप्पणियाँ अदृश्य हो गयीं हैं अतः आप सभी से क्षमा चाहता हूँ.

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  2. थोड़े शब्दों में मर्मान्तक घटना का सटीक विश्लेषणात्मक वर्ण - पिरामिड | दुर्घटना पर मीडिया की जज और वकील वाली सनसनी फैलाती निराशाजनक भूमिका के लिए तो कोई शब्द ही नहीं | कानून का सारे पाठ मीडिया ही पढ़ कर गया है | इस दुखद घटना के लिए कोई शब्द पर्याप्त नही | सादर --

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी का स्वागत है.