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सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

#MeeToo मी टू सैलाब ( वर्ण पिरामिड )


ये

मी टू

ले आया

रज़ामंदी

दोगलापन

बीमार ज़ेहन

मंज़र-ए-आम पे !



वो

मर्द

मासूम

कैसे होगा

छीनता  हक़

कुचलता रूह

दफ़्नकर ज़मीर !



क्यों

इश्क़

रोमांस

बदनाम

मी टू सैलाब

लाया है लगाम

ज़बरदस्ती को "न"





मानो

सामान

औरत को

रूह से रूह

करो महसूस

है ज़ाती दिलचस्पी।



है

चढ़ी

सभ्यता

दो सीढ़ियाँ

दिल हैं ख़ाली

तिजोरियाँ भरीं

भौतिकता है हावी।



हो

तुम

बौड़म

मानते हो

होठों पर न

स्त्री के दिल में हाँ

बे-बुनियाद    सोच।

© रवीन्द्र सिंह यादव

7 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सादर प्रणाम सर.
      सादर आभार प्रतिक्रिया के साथ ब्लॉग पर आने के लिये. ब्लॉग पर तकनीकी बदलाव
      ( गूगल प्लस से ब्लॉगर प्रोफाइल) करने पर पूरा ब्लॉग टिप्पणीविहीन हो गया अर्थात अलंकरणविहीन!

      हटाएं

  2. सादर आभार आदरणीय अमित जी प्रतिक्रिया के ज़रिये उत्साहवर्धन करने के लिये. ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी का स्वागत है.