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शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

सुनो मेघदूत!



सुनो मेघदूत!

अब तुम्हें संदेश कैसे सौंप दूँ, 

अल्ट्रा मॉडर्न तकनीकी से, 

गूँथा गया गगन,

  ग़ैरत का गुनाहगार है अब, 

राज़-ए-मोहब्बत हैक हो रहे हैं!

हिज्र की दिलदारियाँ, 

ख़ामोशी के शोख़ नग़्मे, 

अश्क में भीगा गुल-ए-तमन्ना, 

फ़स्ल-ए-बहार में, 

धड़कते दिल की आरज़ू, 

नभ की नीरस निर्मम नीरवता-से अरमान,

 मुरादों और मुलाक़ात का यक़ीं, 

चातक की पावन हसरत, 

अब तुम्हारे हवाले करने से डरता हूँ, 

अपने किरदार से कुछ कहने, 

अब इंद्रधनुष में रंग भरता हूँ। 

© रवीन्द्र सिंह यादव    

9 टिप्‍पणियां:

  1. चातक की पावन हसरत,

    अब तुम्हारे हवाले करने से डरता हूँ,

    अपने किरदार से कुछ कहने,

    अब इंद्रधनुष में रंग भरता हूँ।

    बेहतरीन रचना आदरणीय 🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. कबूतर संदेश बहेलिया के जाल में है
    आसमान गिरफ्तार वक़्त की चाल में है
    हाल लिखकर भेज तो दिया हवाओं को
    अब सोच रहा डाकिया किस खाल में है
    ---
    सारगर्भित,संदेशात्मक, उर्दू शब्दों का प्रयोग रचनात्मक शिल्प में बढ़ातरी कर रहे। बहुत अच्छी रचना रवींद्र जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. चातक की पावन हसरत,

    अब तुम्हारे हवाले करने से डरता हूँ,

    अपने किरदार से कुछ कहने,

    अब इंद्रधनुष में रंग भरता हूँ।
    ये पंक्तियाँ आत्मा सी लग रही पूरी रचना की

    सम्पूर्ण रचना आम बिम्ब से परे ...

    जवाब देंहटाएं
  4. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (10-08-2019) को "दिया तिरंगा गाड़" (चर्चा अंक- 3423) पर भी होगी।


    --

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है

    ….

    अनीता सैनी

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  5. वाह! संदेश भेजने में जोखिम तो है ही। पता नही यह मेघ भी पाती को लेकर कहाँ और किसपर बरस जाए। बहुत उम्दा शब्द शिल्प।

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  6. वाह!!रविन्द्र जी ,बहुत खूब!!👍👍

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  7. बहुत बड़ा रिस्क है आज मेघों को दूत बनाने के पीछे | कहीं कासिद के रूप में कोई मन की बात को बाजार ना बना दे क्या पता ? सुंदर शब्द शिल्प में ढली सार्थक रचना आदरणीय रवीन्द्र जी | सादर शुभकामनायें इस भावपूर्ण रचना के लिए |

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