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शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

हाँ, मैं चंबल नदी हूँ!


हाँ, मैं चंबल नदी हूँ!

ऊबड़-खाबड़ बीहड़ों में

बहती हुई नाज़ से पली हूँ। 


रोना नहीं रोया है

अब तक मैंने

अपने प्रदूषित होने का,

जैसा कि संताप झेल रही हैं

हिमालयी नदियाँ दो

गंगा-यमुना होने का। 


उद्गम जनापाव पहाड़ी महू इंदौर से

यमुना में संगम भरेह इटावा तक

बहती हूँ कल-कल स्वयंवीरा,

मुझमें समाया दर्द-ए-मीरा,

कहती हूँ फ़ख़्र से

हाँ, मैं हूँ सदानीरा। 


कल-कल उज्ज्वल बहता है

पथरीले पहाड़ों से होकर

निर्मल साफ़-सुथरा मेरा पानी,

गाता चलता है तन्मय हो

चंबल के सुर्ख़ इतिहास को

बहादुरी के क़िस्सों की मोहक रवानी। 


ख़ून के प्यासे 

बर्बर डाकू भी पले

वतन पर मर-मिटनेवाले 

जाँबाज़ सैनिक भी पले

मेरी ममतामयी गोद में,

घने जंगलों से गुज़रती हूँ

इतराती इठलाती दहाड़ती हुई

मेरे तटबंधों को भाया नहीं

डूबना कभी आमोद-प्रमोद में। 


अब तक बची हुई हूँ

कल-कारख़ानों से निकले ज़हर

औद्यौगिक प्रदूषण के ज़ालिम क़हर

शहरी माँस मल-मूत्र से,

अपने उद्गम से मुहाने तक

बिखेरती हूँ ख़ुशियाँ

बाँधती चलती हूँ लोगों को

एकता के पावन सूत्र से। 


मेरी मनमोहिनी जलराशि

पारदर्शी है इतनी कि

तलहटी में पड़ीं वस्तुएँ

साफ़-साफ़ नज़र आतीं हैं,

काश! मेरे देश का न्याय-तंत्र भी

चंबल के पानी की तरह 

इतना ही उजला हो

जिसमें इंसाफ़ के मोतियों / सीपियों की चमक

नागरिकों से कहे 

कि उन्हें भी अब उसमें उम्मीद की 

उज्ज्वल किरणें नज़र आतीं हैं। 

 © रवीन्द्र सिंह यादव








12 टिप्‍पणियां:

  1. चम्बल के बीहड़ में किसान फलते-फूलते हैं और डाकू बेख़ौफ़ घूमते हैं लेकिन अभी भी वहां नेताओं का प्रदूषण पूरी तरह नहीं फैला है इसलिए चम्बल नदी और नदियों की तुलना में आज भी पाक-साफ़ है. जिस दिन नेताओं का ज़हर पूरी तरह चम्बल के भी पानी में घुल जाएगा तब चम्बल भी एक स्वच्छ नदी से एक गंदे नाले में बदल जाएगी.

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  2. वाह!!रविन्द्र जी ,क्या खूब चंबल का चित्रण किया है आपनें शब्दशः सत्य ।बचपन मेंं जब कोटा बैराज घूमने जाते थे ,चंबल के स्वच्छ जल को घंटों निहारा करती थी ।
    आपकी कविता नें बचपन याद दिला दिया । घाटियों के बीहडों के डाकुओं की कहानियां भी बचपन में खूब सुनी हैं । ईश्वर से यही कामना है कि कम से कम इसे तो प्रदूषण से बचाए रखे ।

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  3. कल-कल उज्ज्वल बहता है
    पथरीले पहाड़ों से होकर
    निर्मल साफ़-सुथरा मेरा पानी,
    गाता चलता है तन्मय हो
    चंबल के सुर्ख़ इतिहास को
    बहादुरी के क़िस्सों की मोहक रवानी.... बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय

    जवाब देंहटाएं
  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (14-09-2019) को " हिन्दीदिवस " (चर्चा अंक- 3458) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  5. वाह! बहुत सुंदर!! चंबल की निश्छल निर्मल कलकल!!!

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  6. अहा आपने तो हमारी चंबल का सुंदर और सटीक
    चित्रण कर दिया। बेहतरीन रचना आदरणीय 🙏

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  7. आदरणीय रवींद्र जी प्रणाम आज मैंने आपकी रचना हाँ मैं चम्बल नदी हूँ का वाचन किया। सत्य कहूँ तो आपने इस नदी का सारा मर्म और देश की वर्तमान हालत का सारा दर्द उजागर कर दिया है। नदी की तो ठीक है सभी ने वाह-वाही कर दी परन्तु देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने वाले राजनीतिज्ञों की बुराई भूल से भी न करें नहीं तो उन राजनीतिज्ञों के द्वारा किये गए पापों को ढोने वाले लोग इसी मंच पर आपकी बख़िया उधेड़ देंगे। क्योंकि वे भारतीय नहीं अब कुछ और हैं।  तब न तो वाह निकलेगी और न ही आह। बस वही पुराना वाला नारा लगेगा। जय..... बाकी का आप स्वयं समझ लीजिए    

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  8. चंबल का दर्द उजागर कर सबको बता दिया । वह तो कल भी चुपचाप बह रही थी और आगे भी बहती रहेगी ।

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  9. बारहमासी नदी चंबल का पूर्ण शब्द चित्रण , चंबल की कहानी चंबल की जुबानी ।
    जानापाव की बेटी चरमवाती चंबल बन जन जीवन आधार बनी ।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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  10. चित्र में चंबल जितनी निर्मल और पावन दिख रही है उतनी ही आपकी पंक्तियों में सुंदर लग रही है। इतिहास के कई रंग देखती अविरल बहती चंबल की उज्ज्वलता और प्रकृति की हरीतिमा का संगम अनुपम है। और उतना ही अद्भुत आपका अंदाज़ जो आपने एक ही कविता में तीन लक्ष्य साधे हैं। पंक्तियों द्वारा चंबल दर्शन भी करवाया,जल प्रदूषण की ओर ध्यान आकर्षित किया और देश के न्याय तंत्र के नाम भी एक संदेश लिख दिया।
    अब हम तो बस वाह वाह ही कर सकते हैं
    इस अद्भुत,सुंदर,लाजवाब रचना के आगे
    वाह आदरणीय सर।
    सादर नमन

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  11. बहुत ही सुंदर चित्रण ,सादर नमन आपको

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आपकी टिप्पणी का स्वागत है.