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शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

उठ खड़ी होती है जिजीविषा


नाव डगमग डोली 

तो 

माँझी पर 

टिक गयीं 

आशंकित आशान्वित आँखें, 

कोहरा खा गया 

दिन का भी उजाला 

अनुरक्त हो भँवरे की 

प्रतीक्षा कर रहीं सुमन पाँखें। 


सड़क-पुल के टेंडर 

अभी बाक़ी हैं 

कुछ अनजाने इलाक़ों में 

बहती नदियों और पगडंडियों के, 

अपने आदमी को 

मिले सरकारी सौग़ात 

इस तरह भँवर में 

अनवरत घूमते सोपान प्रगति के।   


विकल है आज तो बेकल मन 

परिवेश में गूँजता 

चीत्कार का व्याकुल स्वर,

प्रभा-मंडल में यह कैसा नक़ली आलोक 

नीरव निशा की गोद में 

तनिक विश्राम करके 

उठ खड़ी होती है जिजीविषा 

अनायास सिहरन का उन्मोचन कर।  

© रवीन्द्र सिंह यादव

10 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (११ -०१ -२०२०) को "शब्द-सृजन"- ३ (चर्चा अंक - ३५७७) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    -अनीता सैनी

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  2. तुम लोगों को चहुमुखी प्रगति दिखाई क्यों नहीं देती?
    गाड़ी, बंगला, स्विस-बैंक खाता, नौकर-चाकर, मुसाहिब, सामने माइक, हाथ में फ़ीता कांटने के लिए कैंची, पैरों तले रेड-कार्पेट, आवागमन के लिए आयातित कार या हेलीकाप्टर !
    और क्या बच्चे की जान लोगे?

    जवाब देंहटाएं
  3. विसंगतियों से व्यथित बेकल मन की प्रस्फुटन है आपकी यह रचना। साधुवाद व बधाई आदरणीय रवीन्द्र जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. जिजीविषा तो है चाहे मनुष्य में पुष्प में या किसी भी चेतन में....
    अनुरक्त हो भँवरे की
    प्रतीक्षा कर रहीं सुमन पाँखें।
    नव सृजन की जिजीविषा....
    नीरव निशा की गोद में
    तनिक विश्राम करके
    उठ खड़ी होती है जिजीविषा
    अनायास सिहरन का उन्मोचन कर।
    वाह!!!
    अद्भुत शब्दविन्यास उत्कृष्ट सृजन...

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  5. बहुत खूब ,लाज़बाब सृजन सर ,सादर नमन

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  6. बेहतरीन रचना आदरणीय

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  7. भँवर में
    अनवरत घूमते सोपान प्रगति के।
    .....और इस भँवर में घूमते प्रगति के सोपानों के साथ घनचक्कर बने हम सब ना जाने कहाँ चले जा रहे हैं....
    प्रभावशाली अभिव्यक्ति !

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  8. नीरव निशा की गोद में

    तनिक विश्राम करके

    उठ खड़ी होती है जिजीविषा


    bhasha shaili bahut praabhawit karti he... bahut hi effective rechnaa

    bdhaayi

    जवाब देंहटाएं
  9. तनिक विश्राम करके
    उठ खड़ी होती है जिजीविषा
    उत्कृष्ट सृजन...

    जवाब देंहटाएं

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