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शनिवार, 2 मई 2020

कमाल का भरोसा है उनका

आप जानते हैं 

समानांतर रेल-पटरियों (ब्रॉड गेज़) के बीच की दूरी 

कितनी तय है?

1676 मिलीमीटर 

एक मीटर सरसठ सेंटीमीटर छह मिलीमीटर 

पाँच फ़ुट छह इंच

मैं यह हिसाब 

आपको क्यों समझा रहा हूँ? 

क्योंकि भारत में 

पुरुष की औसत लंबाई भी 

लगभग यही है

अब यहाँ ख़ास / ध्यानाकर्षक बात यह है कि 

आज मैंने 

रेल-पटरियों के मध्य 

एक ओर 

पटरी को सिरहाना समझ

इत्मीनान से सर रखे   

दूसरी ओर पाँव पसारे

लकड़ी / सीमेंट के स्लीपर पर 

टिकाए पीठ  

बेफ़िक्र सोते हुए

कृशकाय मज़दूर देखे

लाचारी में क़ानून तोड़ते

भारत के मजबूर देखे   

कमाल का भरोसा है उनका

नींद में भी सजग रहने पर  

सरकारी आदेश पर 

लॉक डाउन में 

रेल चक्काजाम पर

उन्हें नहीं मालूम 

बेरहम सरकार 

कब अपना आदेश बदल दे! 

कब विशेष ट्रैन चला दे!

चिरनिद्रा में न सुला दे...! 

© रवीन्द्र सिंह यादव

6 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय सर सादर प्रणाम 🙏
    काश आपकी यह पंक्तियाँ उन मज़दूरों तक पहुँच पाती और वो सतर्क हो जाते क्योंकि व्यवस्थाओं में सतर्कता की तो हमे कोई उम्मीद नही।
    सत्य कहा आपने कमाल का भरोसा है इनका बेरहम सरकार पर जो बस इनके चिरनिद्रा में जाने के बाद बस झूठे आँसू बहाना जानती है।
    आपकी कलम को सादर प्रणाम आदरणीय सर 🙏

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  2. सादर नमस्कार,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (15-05-2020) को
    "ढाई आखर में छिपा, दुनियाभर का सार" (चर्चा अंक-3702)
    पर भी होगी। आप भी
    सादर आमंत्रित है ।
    …...
    "मीना भारद्वाज"

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  3. भरोसा तोड़ने की प्रक्रिया भी साथ साथ है। सुन्दर।

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  4. मजदूरों को तो उपरवाले पर भी कमाल का भरोसा हैं तभी तो रेल पटरी को बिछावन बना चैन से सो गए ,सुंदर सृजन ,सादर नमन सर

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  5. समय अंतराल पर सार्थक हुआ सृजन हृदय द्रवितकर गया. पाषाण बना मानव स्वार्थ के लबादे में अवतार अवतरण की प्रकिया में उलझा है. कुछ इसी वक़्त बटोरेंगे भविष्य की रोटी...
    मजदूर का भाग फुटपाथ पर पिसा जाता है या रेल की पटरी पर...समाज के ठेकेदार अफ़सोस के साथ दामन झाड़ लेते है.
    सार्थक सृजन आदरणीय सर.

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