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शनिवार, 30 जनवरी 2021

इंदौर में बेघर बुज़ुर्गों को...

समाचार आया है-

"इंदौर में बेघर बुज़ुर्गों को नगर निगम के ट्रक में भरकर शहर से बाहर..."

महादेवी वर्मा जी कहानी 'घीसा' स्मृति में घूम गई 

जब इंदौर का यह समाचार पढ़ा 

संवेदना ने खींचकर 

गाल पर तमाचा जड़ा

महादेवी जी नदी पार करके 

ग़रीब ग्रामीण बच्चों को पढ़ाने 

चलीं जाया करतीं थीं

एक बार अबोध बच्चों को 

शारीरिक स्वच्छता का पाठ पढ़ाया 

बच्चों को ख़ूब भाया 

अगले दिन महादेवी जी ने देखा

ख़ुद को मन ही मन कोसा  

बच्चों ने मैल की मोटी परत 

पत्थर से घिसकर हटाई 

तो कुछ बच्चों की चमड़ी तक खुरच गई 

ऐसा ही कुछ जूनून सवार है 

इंदौर नगर निगम के मुलाज़िमों पर 

देश का सबसे स्वच्छ शहर 

होने का तमग़ा क्या मिला 

वे तो संवेदनाविहीन होने की 

हदें पार कर गए

मानवता को तार-तार कर आगे बढ़ गए  

अतिक्रमण हटाने के नाम पर 

असहाय बेघर कृशकाय वृद्धजनों को

उनके गुदड़ी-चीथड़ों सहित  

नगर निगम के डंपर में जबरन लादकर 

शहरी सीमा से दूर क्षिप्रा नदी के किनारे 

उतार दिया समझकर कचरे 

शहरी चमक-दमक से दूर रहते 

स्थानीय निवासियों ने 

वीडियो बनाकर वायरल किया 

राष्ट्रीय मीडिया कहलाने वालों को 

डूब मरने के लिए चुल्लूभर पानी दिया 

असर 

सरकार तक पहुँचा 

क्या हमारी सोई संवेदना तक पहुँचा?

मैं चाहता हूँ 

अतिक्रमण का सामान,आवारा कुत्ते,मृत पशु आदि 

ढोनेवाले डंपर में बैठकर  

एक दिन 

इंदौर नगर निगम के अधिकारी

सपरिवार सैर करें

बेघर होने की पीड़ा को महसूस करें 

नई पीढ़ी को सिखाएँ 

ज़िंदगी से नफ़रत नहीं की जाती है 

जीवन मूल्यों की हिफ़ाज़त की जाती है

ग़रीबी ईश्वरीय देन नहीं है 

समाज ने इनका हक मार लिया है 

और तुमने इन्हें हाड़ कँपाती सर्दी में 

नदी किनारे उतार दिया है? 

 © रवीन्द्र सिंह यादव   

 

5 टिप्‍पणियां:

  1. संवेदना तो कुंभकरण की नींद सो रही है। मानवता की हर हद पार करता यह दौर जाने कहाँ थमेगा। जिन्हें ज़िंदगी का तजुर्बा है, जो हमे नई राह दे सकते हैं उन्हें यदि हम स्वयं से दूर करने लगे तो यह अपने पतन को निमंत्रण देना है।
    बहुत खूब लिखा आपने आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (०४-०२-२०२१) को 'जन्मदिन पर' (चर्चा अंक-३९६७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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  3. जब इंदौर का यह समाचार पढ़ा
    संवेदना ने खींचकर
    गाल पर तमाचा जड़ा

    वाकई शर्मनाक घटना...
    मार्मिक चित्रण और उचित आह्वान किया है आपने 🙏

    कृपया मेरे ब्लॉग शरदाक्षरा में पढ़िए मेरा कॉलम लेख समाज के मुंह पर ज़ोरदार तमाचा है इन्दौर की घटना - डाॅ शरद सिंह

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  4. हृदय दहला देने वाली घटना,सुंदर सृजन सर सादर नमन

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  5. गरीबी ईश्वरीय देन नहीं है !
    ईश्वरीय शाप तो है। लोग कहते हैं कि संवेदनहीनता की हद पार कर चुकी मानवजाति अपने कर्मों का फल भोग रही है पर यह कर्मफल भी गरीबों को ही भोगना पड़ता है। शर्मनाक घटना।

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