साहित्य समाज का आईना है। भाव, विचार, दृष्टिकोण और अनुभूति का आतंरिक स्पर्श लोकदृष्टि के सर्जक हैं। यह सर्जना मानव मन को प्रभावित करती है और हमें संवेदना के शिखर की ओर ले जाती है। ज़माने की रफ़्तार के साथ ताल-सुर मिलाने का एक प्रयास आज (28-10-2016) अपनी यात्रा आरम्भ करता है...Copyright © रवीन्द्र सिंह यादव All Rights Reserved. Strict No Copy Policy. For Permission contact.
© रवीन्द्र सिंह यादव
मित्र, हमारे रहनुमाओं पर, हमारे भाग्य-विधाताओं पर, सिंथेटिक दूध से धुले हमारे पवित्र नेताओं पर, ऐसे निर्मम प्रहार करने का दुस्साहस मत करो.
यथार्थपूर्ण सामयिक सृजन ।
कुंठा का नासूर !!!सदियो पुराना प्रतिशोध नासूर ही हैसच में लाशत है...बहुत लाजवाब।
आपने बहुत अच्छी जानकारी provide की Thanks You Sir.Arman15 My Official WebsiteDesi49 WhatsApp Group Link Whatsaupgrouplink.com 2022संत रैदास का जीवन–परिचय | Saint Raidas Biography in HindiBold Meaning in Hindi | बोल्ड का मतलब हिंदी मेंMobile और Gadgets Warrenty Vs Insurance में क्या अंतर है?Bijlee Bijlee Lyrics in Hindi – Hardy SandhuHarivarasanam Lyrics In EnglishWhat had been put up on the bulletin-board?How did Bismillah Khan get his big break?ATM Se Paise Kaise Nikale 2022SSC Previous Year GK Questions And Answer PDF Download in Hindi 2022जीव विज्ञान की शाखाएँ - Branches of Biology With PDF Downloadथाना प्रभारी को शिकायत पत्र कैसे लिखें? | पुलिस को शिकायत–पत्र कैसे लिखेंHow to write a letter to bank authority to set up a ATM machine?वासुदेव शरण अग्रवाल - जीवन परिचय, कृतियां और भाषा शैलीप्रताप नारायण मिश्र का जीवन-परिचय कक्षा 9 | Pratap Narayan Mishra Biographyए०पी०जे० अब्दुल कलाम का इतिहास जीवन परिचय | APJ Abdul Kalam biography in hindi
बहुत सार्थक बात कही आपने
सटीक
सच सामाजिक मूल्य खोने वाले कैसे सभ्य हो सकते हैं
सत्य है सर। मूल्यों का तो जैसे दमन हो गया हो समाज में। मनुष्यों में मनुष्यता का लोप चिंता का विषय है। सटीक पंक्तियाँ।सादर प्रणाम 🙏
आपकी टिप्पणी का स्वागत है.
मित्र, हमारे रहनुमाओं पर, हमारे भाग्य-विधाताओं पर, सिंथेटिक दूध से धुले हमारे पवित्र नेताओं पर, ऐसे निर्मम प्रहार करने का दुस्साहस मत करो.
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जवाब देंहटाएंकुंठा का नासूर !!!
जवाब देंहटाएंसदियो पुराना प्रतिशोध नासूर ही है
सच में लाशत है...
बहुत लाजवाब।
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बहुत सार्थक बात कही आपने
जवाब देंहटाएंसटीक
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सत्य है सर। मूल्यों का तो जैसे दमन हो गया हो समाज में। मनुष्यों में मनुष्यता का लोप चिंता का विषय है।
जवाब देंहटाएंसटीक पंक्तियाँ।सादर प्रणाम 🙏