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शनिवार, 26 नवंबर 2022

फ़ासला

नवोदित पीढ़ी 

कुछ दशकों बाद 

पहचान लेगी

उसके दिल में 

नफ़रत और हिंसा के बीज 

किसने रोपे थे 

उसके भविष्य के लिए 

देश-विदेश में 

काँटे किसने बोए थे

तब तक

हमारे हृदय की तरह  

गंगा के तट 

और सिकुड़ चुके होंगे...

और प्रौढ़ पीढ़ी के लोग  

शर्म से निरुत्तर 

नज़रें झुकाए खड़े होंगे। 

© रवीन्द्र सिंह यादव