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बुधवार, 29 मई 2024

नदी का स्वभाव

चित्र: महेन्द्र सिंह 

कल-कल करती 

निर्मल नदी को देखो

गतिमान है मुहाने की ओर 

सूरज की तपिश 

संलग्न है 

नदी की काया को 

छरहरा बनाने की ओर 

नदी आशांवित होती है 

पहुँचने मुहाने तक 

सागर में मिलने हेतु  

आगे मिल जाएँगीं 

समा जाएँगीं 

कुछ और छोटी-छोटी नदियाँ

उसकी जलराशि और सौंदर्य में इज़ाफ़ा करने  

नदी उनका 

तिरस्कार नहीं करती है 

आह्लादित होती है 

संगम और समंवय के साथ

मनुष्य,पशु-पक्षियों,पेड़-पौधों का 

सुकून में बदलता है 

प्यास का एहसास

देखकर बहती निर्मल नदी

लगे अंकुश मानवीय महत्वाकांक्षाओं  पर 

तो बहती रहे नदी 

अविरल,अविचल,अविकल,अनवरत 

सदी-दर-सदी कल-कल छल-छल।   

©रवीन्द्र सिंह यादव

बुधवार, 8 मई 2024

सोशल मीडिया

अभिव्यक्ति को विस्तार देने 

आया सोशल मीडिया,

निजता का अतिक्रमण करने 

आया सोशल मीडिया

धंधेबाज़ों को धंधा 

लाया सोशल मीडिया 

चरित्र-हत्या का माध्यम 

बना सोशल मीडिया 

ज्ञान,विमर्श और सूचना का 

अंबार लाया सोशल मीडिया 

छल,झूठ,धमकी,बदज़बानी

बलात्कार की धमकी और दम्भ को 

विस्तार देता सोशल मीडिया

स्त्रियों के लिए असुरक्षित बना 

सोशल मीडिया 

सोशल अर्थात सामाजिक 

सामाजिक माध्यम असामाजिक क्यों हो गया है? 

क्योंकि अब यह सत्ता से साँठगाँठ कर चुका है

कौन गाली लिख रहा है

कौन धमकी दे रहा है 

कौन नफ़रत और झूठ फैला रहा है

कौन क़ानून तोड़ रहा है 

कौन सामाजिक सद्भाव बिगाड़ रहा है  

सब जानती है सोशल मीडिया कंपनी 

धंधे के लिए इसे सब मंज़ूर है।

©रवीन्द्र सिंह यादव