जय हो वीणावादिनी
जय हो ज्ञानदायिनी
विद्या ,बुद्धि ,ज्ञान की देवी
करो मेधा प्रखर वाग्देवी।
माघ मास शुक्लपक्ष पंचमी
वागीश्वरी जयंती
पूजा-आराधना शाश्वत ज्ञान हेतु
शीश नमन्ति !
हे माँ !
उन मस्तिष्क का विवेक
जाग्रत रखना
जिनकी अँगुलियों को
भोले जनमानस ने
परमाणु - बटन दबाने का अधिकार सौंप दिया है ,
उन स्वार्थ की परतों को उधेड़ देना
जिन्होंने मानवता की पीठ में ख़ंजर घौंप दिया है।
उन मनीषियों की प्रतिभा प्रचंड प्रखर करना
जो स्वयं को जलाकर
रोशनी के हेतु हैं ,
कल और आज के
धवल - सबल सेतु हैं।
उन दीन -दुखी , निबल, जर्जर को संबल देना
जो मूल्यों की धरोहर सहेजे हैं,
वक़्त के ज़ुल्म-ओ-सितम सहकर
निष्ठा को आज भी लगाए कलेजे हैं।
उन दिमाग़ों में स्त्री-गरिमा की ज्योति प्रदीप्त करना
जो भोग-उपभोग का मानस लिए भटकते हैं,
असहाय समाज की आँख में
यदाकदा नहीं अब रोज़ खटकते हैं।
हे माँ !
भटके हुए जीव - जगत को
सुरमयी गीत सुनाकर उजियारा पथ दिखा देना ,
जीवन- संगीत का
दिव्य बसंती -राग सिखा देना।
@ रवीन्द्र सिंह यादव
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