साहित्य समाज का आईना है। भाव, विचार, दृष्टिकोण और अनुभूति का आतंरिक स्पर्श लोकदृष्टि के सर्जक हैं। यह सर्जना मानव मन को प्रभावित करती है और हमें संवेदना के शिखर की ओर ले जाती है। ज़माने की रफ़्तार के साथ ताल-सुर मिलाने का एक प्रयास आज (28-10-2016) अपनी यात्रा आरम्भ करता है...Copyright © रवीन्द्र सिंह यादव All Rights Reserved. Strict No Copy Policy. For Permission contact.
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गुरुवार, 28 सितंबर 2017
मंगलवार, 26 सितंबर 2017
अपनी अस्मिता क़ुर्बान करनी चाहिए थी ?
कुलपति साहब तो क्या
उस छात्रा को
संस्थान की अस्मिता के लिए
संस्थान की अस्मिता के लिए
अपनी अस्मिता
क़ुर्बान करनी चाहिए थी?
क़ुर्बान करनी चाहिए थी?
बीएचयू के मुखिया को
ऐसी बयानबाज़ी करनी चाहिए थी?
जो बेटियों द्वारा
संस्थान की अस्मिता के लिए
आहूत शुद्धि-यज्ञ को
सियासी साज़िश बताते हैं
ऐसी विभाजनकारी मानसिकता के
लोग भी
सरकारी कृपा से कुलपति बन जाते हैं।
ऐसी बयानबाज़ी करनी चाहिए थी?
जो बेटियों द्वारा
संस्थान की अस्मिता के लिए
आहूत शुद्धि-यज्ञ को
सियासी साज़िश बताते हैं
ऐसी विभाजनकारी मानसिकता के
लोग भी
सरकारी कृपा से कुलपति बन जाते हैं।
सभ्यता की सीढ़ियाँ
चढ़ता मनुष्य
चढ़ता मनुष्य
पशुओं से अधिक
पाशविक-व्यवहार पर
उतर आया है
घटना का ज़िक्र देख-सुन
आँखों में लहू उतर आया है।
साइकिल पर शाम साढ़े छह बजे
पाशविक-व्यवहार पर
उतर आया है
घटना का ज़िक्र देख-सुन
आँखों में लहू उतर आया है।
साइकिल पर शाम साढ़े छह बजे
बीएचयू कैंम्पस में हॉस्टल जाती
17 वर्षीय एक छात्रा के
वस्त्रों में
बाइक पर सवार होकर
वस्त्रों में
बाइक पर सवार होकर
हाथ डालने के संस्कार
किसी माँ-बाप ने
अपने अशिष्ट, मनोरोगी बेटे को दिए हैं?
अपने अशिष्ट, मनोरोगी बेटे को दिए हैं?
मीडिया प्रबंधन की
पोल खुल गई है
पोल खुल गई है
विज्ञापनों के फेर में
मीडिया-मालिक की
ज़ेहनियत पर
मीडिया-मालिक की
ज़ेहनियत पर
फ़रेबी-संवेदना की
कलई अब धुल गयी है।
कलई अब धुल गयी है।
अफ़सोस! कि वाराणसी एक तीर्थ है
जहाँ भी मानवता को
शर्मसार करनेवाले भेड़िये पलते हैं
शर्मसार करनेवाले भेड़िये पलते हैं
सर्वविद्या की सांस्कृतिक राजधानी में
वर्जनाओं की फ़ौलादी ज़मीं पर
सामंतवादी पुरुषसत्ता की टकसाल में
सांस्कृतिक बेड़ियों के सिक्के ढलते हैं।
सांस्कृतिक बेड़ियों के सिक्के ढलते हैं।
धरने पर बैठीं बेटियाँ
अपनी सुरक्षा के लिए
सड़क पर रात गुज़ारती हैं
अगली अँधेरी रात में
वे निहत्थी हैं फिर भी
वे निहत्थी हैं फिर भी
क्रूर पुरुष-पुलिस की
सर पर लाठियाँ खातीं हैं।
सर पर लाठियाँ खातीं हैं।
कमाल का मलाल है
बनारसी लोगों के मन में
बनारसी लोगों के मन में
उन्हें अफ़सोस है
कि प्रधानमंत्री के काफ़िले का
पूर्व निर्धारित रुट बदलने से
कि प्रधानमंत्री के काफ़िले का
पूर्व निर्धारित रुट बदलने से
उनके द्वार की मिट्टी
पवित्र न होने पाई...!
पवित्र न होने पाई...!
सुनो!
खोखली मान्यताओं के पहरेदारो!
बेटी है अब सड़क पर उतर आई
नए मूल्यों की इबारत लिखने से
रोक पाओगे उसे?
नए मूल्यों की इबारत लिखने से
रोक पाओगे उसे?
सुनो!
पशुओं को भी
लज्जित कर देने वाले दरिंदो!
लज्जित कर देने वाले दरिंदो!
तुम भी किसी के जीवनसाथी
क्या अब बन पाओगे?
तुम किसी माई के लाल हो
किसी बाप की नाक का बाल हो
क्या अब बन पाओगे?
तुम किसी माई के लाल हो
किसी बाप की नाक का बाल हो
तुम भी किसी बहन के हो भाई
या किसी बेटी के बनोगे बाप..!
तुम्हारा ज़मीर जाग जाय तो अच्छा है
वरना!
जीवनभर अपराधबोध के अंधकार में
अपनी ही नज़रों से गिरकर
भटकोगे और कचोटेगा संताप..!
जीवनभर अपराधबोध के अंधकार में
अपनी ही नज़रों से गिरकर
भटकोगे और कचोटेगा संताप..!
ख़ुफ़िया-तंत्र को चुल्लूभर पानी काफ़ी है
हमारी ओर से उसे नहीं कोई माफ़ी है।
ख़बर है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की
नींद आज खुल गयी है
नींद आज खुल गयी है
राष्ट्रीय महिला आयोग की
न जाने क्यों घिग्घी बँध गयी है?
न जाने क्यों घिग्घी बँध गयी है?
©रवीन्द्र सिंह यादव
"धर्म की बात करने का अधिकार उन्हीं को है जो ख़ुद धर्म पर चलते हैं। तुम ये बताओ कि
क्या लड़कियों ने यह धर्म का पालन किया कि एक लड़की की अस्मिता को लेकर वे
बाज़ार पहुँच गईं?"
बीएचयू कुलपति महोदय के इस बयान से खिन्न होकर मैंने यह कविता लिखी।
-रवीन्द्र
-रवीन्द्र
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई छेड़छाड़ की अभद्र घटना पर मेरा लेख -
https://hamaraakash.blogspot.in/2017/09/blog-post.html
शब्दार्थ / पर्यायवाची। WORD MEANINGS
कुलपति= विश्वविद्यालय का शीर्ष अधिकारी /VICE CHANCELLOR
संस्थान - INSTITUTE
अस्मिता = गौरव ,गरिमा , अभिमान ,पहचान / PRIDE
क़ुर्बान= मिटा देना(स्वयं को ) , बलिदान करना , त्याग करना / SACRIFICE
बीएचयू = बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी
पाशविक व्यवहार= पशुओं जैसा बर्ताव , नृशंस व्यवहार /BEHAVE LIKE ANIMAL, BRUTAL ACTIVITIES
साइकिल = मानवीय ऊर्जा से चालित दो पहिया वाहन / BICYCLE
(BI = दो , CYCLE = चक्र / पहिया अर्थात जिसमें दो पहिये हों )
बाइक = मोटर साइकिल, स्वचालित दो पहिया वाहन / MOTOR CYCLE / BIKE
अशिष्ट = असभ्य , शिष्टाचार से परे ,बदतमीज़ ,गुस्ताख़ / UNCIVILIZED
फ़रेबी-संवेदना= छुपे ग़लत मक़सद की संवेदना / FALSE SENSITIVITY
ज़ेहनियत = मानसिकता / MENTALITY
शब्दार्थ / पर्यायवाची। WORD MEANINGS
कुलपति= विश्वविद्यालय का शीर्ष अधिकारी /VICE CHANCELLOR
संस्थान - INSTITUTE
अस्मिता = गौरव ,गरिमा , अभिमान ,पहचान / PRIDE
क़ुर्बान= मिटा देना(स्वयं को ) , बलिदान करना , त्याग करना / SACRIFICE
बीएचयू = बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी
पाशविक व्यवहार= पशुओं जैसा बर्ताव , नृशंस व्यवहार /BEHAVE LIKE ANIMAL, BRUTAL ACTIVITIES
साइकिल = मानवीय ऊर्जा से चालित दो पहिया वाहन / BICYCLE
(BI = दो , CYCLE = चक्र / पहिया अर्थात जिसमें दो पहिये हों )
बाइक = मोटर साइकिल, स्वचालित दो पहिया वाहन / MOTOR CYCLE / BIKE
अशिष्ट = असभ्य , शिष्टाचार से परे ,बदतमीज़ ,गुस्ताख़ / UNCIVILIZED
फ़रेबी-संवेदना= छुपे ग़लत मक़सद की संवेदना / FALSE SENSITIVITY
ज़ेहनियत = मानसिकता / MENTALITY
मंगलवार, 19 सितंबर 2017
आँखें
ख़ामोश अदा चेहरे की,
व्यंगपूर्ण मुस्कान
या
ख़ुद को समझाता तसल्ली-भाव....?
आज आपकी डबडबाई आँखों में
आयरिस के आसपास,
तैरते हुए चमकीले मोती देखकर.....
मेरे भीतर भी
कुछ टूटकर बिखर-सा गया है......!
कुछ टूटकर बिखर-सा गया है......!
ज़ार-ज़ार रोती आँखें
मुझे भाती नहीं,
आँखें हैं कि
शिकायती-स्लेट बनने से
अघाती नहीं।
शिकायती-स्लेट बनने से
अघाती नहीं।
आपका कभी आँचल भीगता है
कभी मेरा रुमाल,
बह जायें आँसू फिर देखिये
चंचल नयनों के कमाल।
दिल किसी का
यादें किसी की,
यादें किसी की,
सपने किसी के
आँख किसी की,
इंतज़ार किसी का
धड़कन किसी की,
आँख किसी की,
इंतज़ार किसी का
धड़कन किसी की,
चैन किसी का
बेक़रारी किसी की,
अक्स किसी का
आँख किसी की,
बेक़रारी किसी की,
अक्स किसी का
आँख किसी की,
दिल में समायी प्रीत किसी की
कहो कैसा क़ुदरती अनुबंध है?
किसी दामन में सर झुकाकर
सुकूं मिलता है भरी आँखों को,
क़लम कहाँ लिख पाती है
पाकीज़गी-ए-अश्क़ के उन ख़्यालों को।
आप मेरे दिल में उतरे
मैं आपके दिल में,
गुफ़्तुगू ख़ूब हुई
दो दिलों की महफ़िल में,
तड़प के सिवाय कुछ मिला क्या....?
खनकते एहसास लिये
तमन्नाओं का हसीं कारवाँ मिला,
तभी तो चल पड़ा
इश्क़ का नाज़ुक-सा सिलसिला।
मैं अपनी गुस्ताख़ी
ढूँढ़कर ही रहूँगा,
ख़ज़ाना-ए-दिल बहने का
सबब तलाश कर ही लूँगा,
क्योंकि आपने
आज मुझे टफ टास्क दिया है -
आज मुझे टफ टास्क दिया है -
"दिल में ऐसा क्या चुभता है
कि ज़ुबाँ चुप रहती है,
आँखें बयाँ करती हैं?"
कब से हम खुलकर मुस्काये नहीं
गये वक़्त की रुस्वाइयाँ बयां करती हैं,
चेहरे पर उदासी का पहरा
और झुकी-झुकी पलकें
बे-रूखी का क़िस्सा बयां करती हैं।
है हार क़ुबूल मुझे
नहीं मैं अना-पसंद
नहीं मैं अना-पसंद
रणछोड़दास जी का
पथ अनुगमन करता हूँ,
चेहरे पर खिली तबियत हो
ईष्ट को नमन करता हूँ।
बस यही दुआ और इल्तिजा करता हूँ-
ज़िन्दगी को जीभर खिलने-मुस्कराने दो अब,
सपनों में भी आँसुओं को न ज़ाया होने दो अब।
#रवीन्द्र सिंह यादव
शब्दों के अर्थ /पर्यावाची / WORD MEANING
आयरिस =आँख की पुतली / IRIS / PUPIL
पाकीज़गी-ए-अश्क़= आँसुओं की पवित्रता / PURITY OF TEARS
ख़ज़ाना-ए-दिल= आँसू / TEARS
गुस्ताख़ी =ढिठाई , बे-अदबी ,अशिष्टता /ARROGANCE
टफ टास्क= कठिन, चुनौतीभरा कार्य / TOUGH TASK
रुस्वाइयाँ= बदनामियाँ / DISGRACES
अना-पसंद = अहंकारवादी ,अहंवादी, अपने अहंकार को आगे रखने वाला / Egotist
रणछोड़दास =श्रीकृष्ण / LORD KRISHNA
ज़ाया = बरबाद ,नष्ट, नाश / WASTE / DESTROY
शब्दों के अर्थ /पर्यावाची / WORD MEANING
आयरिस =आँख की पुतली / IRIS / PUPIL
पाकीज़गी-ए-अश्क़= आँसुओं की पवित्रता / PURITY OF TEARS
ख़ज़ाना-ए-दिल= आँसू / TEARS
गुस्ताख़ी =ढिठाई , बे-अदबी ,अशिष्टता /ARROGANCE
टफ टास्क= कठिन, चुनौतीभरा कार्य / TOUGH TASK
रुस्वाइयाँ= बदनामियाँ / DISGRACES
अना-पसंद = अहंकारवादी ,अहंवादी, अपने अहंकार को आगे रखने वाला / Egotist
रणछोड़दास =श्रीकृष्ण / LORD KRISHNA
ज़ाया = बरबाद ,नष्ट, नाश / WASTE / DESTROY
शनिवार, 16 सितंबर 2017
खाता नम्बर
ग़ौर से देखो गुलशन में
बयाबान का साया है ,
ज़ाहिर-सी बात है
आज फ़ज़ा ने जताया है।
इक दिन मदहोश हवाऐं
कानों में कहती गुज़र गयीं,
उम्मीद-ओ-ख़्वाब का दिया
हमने ही बुझाया है।
आपने अपना खाता नम्बर
विश्वास में किसी को बताया है,
तभी तो तबादला होकर दर्द
आपके हिस्से में आया है।
दर्द अंगड़ाई ले लेकर
जाग उठता है पहर-दर-पहर,
कुछ ब्याज का हिस्सा भी
बरबस आकर समाया है।
आपके तबस्सुम में रहे
वो रंग-ओ-शोख़ियां अब कहाँ ?
उदास तबियत का
दिन-ओ-दिन भारी हुआ सरमाया है।
बिना अनुमति के खाते में
बिना अनुमति के खाते में
न कुछ जोड़ा जाए,
अब जाकर राज़दार का पता
बैंक से की इल्तिजा में बताया है।
#रवीन्द्र सिंह यादव
शब्दार्थ / पर्यायवाची / WORD MEANINGS
ग़ौर से = ध्यान से, TO BE FOCUSED
गुलशन = फूलों का बगीचा / FLOWER GARDEN
बयाबान =जंगल ,वीराना / WILDERNESS
साया = छाया,शरण / SHADOW,SHADE ,SHELTER
फ़ज़ा= वातावरण ,परिवेश /AMBIENCE
फ़ज़ा= वातावरण ,परिवेश /AMBIENCE
खाता =ACCOUNT
ब्याज =INTEREST
तबादला=स्थानांतर,बदली होना / TRANSFER
तबस्सुम =मुस्कराहट / SMILE
शोख़ियाँ =शरारतें / MISCHIEF
सरमाया =पूँजी ,संपत्ति / CAPITAL /WEALTH
राज़दार = राज़/ रहस्य / गुप्त बातें जानने वाला / FAITHFUL
इल्तिजा = विनती ,अनुरोध ,प्रार्थना / REQUEST
बुधवार, 13 सितंबर 2017
सरकारी बंद लिफ़ाफ़ा
एक एनजीओ की याचिका पर
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने
भारत सरकार को आदेश दिया
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने
कल 105 क़ानून बनाने वाले आदरणीयों (?) के नाम का
सीलबंद लिफ़ाफ़ा शीर्ष अदालत को सौंप दिया।
इन पर आरोप है कि
चुनाव जीतते ही इनकी संपत्ति में
500 से 1200 प्रतिशत तक का इज़ाफ़ा हुआ है
देश को ऐसा आश्चर्य पहली बार नहीं हुआ है।
100 रुपये पर
10 रुपये बढ़ना 10 प्रतिशत वृद्धि होता है
इनके साथ खड़ा हड़प-तंत्र होता है
कहीं-कहीं 1700 और 5000
प्रतिशत का भी ज़िक्र है
जोकि हमारी आज की सबसे बड़ी फ़िक्र है।
इन सफ़ेदपोशों के नाम बंद लिफ़ाफ़े में क्यों ?
इनके आय के समस्त स्त्रोत गुप्त क्यों ?
इस लूट पर अपनी सरकार है सुप्त क्यों ?
ये ऐसा चमत्कारी फ़ॉर्मूला जनता को नहीं बताते क्यों ?
ये ढोंगी, धूर्त जनसेवक चुनाव-सभा में देशभक्ति गीत बजाते क्यों ?
हम भी जानना चाहते हैं देश ने इन्हें ऐसा हक़ कब दिया था ?
1955 में ही ख्वाजा अहमद अब्बास ने
राजकपूर अभिनीत फिल्म में इन्हें "श्री 420" लिख दिया था।
#रवीन्द्र सिंह यादव