पेज

पेज (PAGES)

सोमवार, 23 अप्रैल 2018

ज़िंदगी का सफ़र


रस्म-ए-वफ़ा निभाने की 
कोशिशें  करते रहे ,
हर क़दम पे पुर-असर 
नुमाइशें करते रहे।

सुलगती याद 
फैली हुई है चार सू,
ग़म-ज़दा होने की और 
फ़रमाइशें करते रहे।

उन प्यारी निगाहों में 
जला दिये ग़म के दिये,
अपने लिये इश्क़ में 
हज़ार बंदिशें करते रहे।

आरज़ू के साथ-साथ


मायूसियाँ भी चलीं,
मोहब्बत की राह में 
गुंजाइशें करते रहे।

वो आइना जिसमें 
 छाये थे जल्वे ही जल्वे,
गवारा उसकी सब
 रंजिशें करते रहे।

वक़्त-ए-गर्दिश की 
लकीर से अलाहिदा,
ज़ख़्म-ए-वफ़ा की 
पैमाइशें करते रहे।

बेहया बादल न आये  
एक पुराना ज़ख़्म धोने,
वक़्त-बे-वक़्त आँसू  
बारिशें करते रहे।  

हवाऐं आती रहीं 
मोहब्बत के जज़ीरे से,
हम दफ़्न अपनी 
 ख़्वाहिशें करते रहे।   

#रवीन्द्र सिंह यादव

शब्दार्थ / WORD MEANINGS 


रस्म-ए-वफ़ा = वफ़ादारी का दस्तूर / FAITHFULNESS'S RITUAL  

नुमाइशें (नुमाइश) = प्रदर्शनी / SHOW , EXHIBITIONS  

पुर-असर=पूरी तरह असरदार / FULLY  EFFECTIVE 


सू= ओर ,से , तरफ़ ,दिशा  / DIRECTION ,SIDE  

ग़म-ज़दा = उदास, अवसादग्रस्त / MELANCHOLIC 


फ़रमाइशें (फ़रमाइश) = अनुरोध / REQUEST  

बंदिशें (बंदिश) = रोक,बंधन,सीमा-बंधन,संयम / RESTRICTION  


मायूसियाँ (मायूसी) = निराशा / DISAPPOINTMENT


आरज़ू = चाहत, इच्छा, मनोकामना / DESIRE ,WISH  


गुंजाइशें (गुंजाइश ) = क्षमता / CAPACITY 


जल्वे (जल्वा ) = रौशनी / LUSTRE ,SOFT GLOW , SHINE  


गवारा = सहने योग्य / TOLERABLE, BEARABLE


रंजिशें (रंजिश) = बैर, विरोध, शत्रुता / HOSTILITY 


 वक़्त-ए-गर्दिश = बुरा समय, कठिन दौर / Movement of time  

लकीर = रेखा ,पंक्ति / LINE, STREAK  


अलाहिदा = अलग, पृथक / DIFFERENT, SEPARATE, APART   


ज़ख़्म-ए-वफ़ा = वफ़ादारी का घाव / SORE / GASH OF                                                    CONSTANCY  

पैमाइशें (पैमाइश) = माप, नापतौल / MEASUREMENT 

बे-वक़्त  = समय से पूर्व, तय समय से पहले / UNTIMELY 

वक़्त-बे-वक़्त  = कभी भी , किसी भी समय, किसी भी मौक़े पर / ANY                                TIME  


जज़ीरे (जज़ीरा) = द्वीप / ISLANDS 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी का स्वागत है.