ये धूप रोकती अट्टालिका सहते हुए हड्डियों का दर्द कोसते धूप-बाधा। न रोको सौगात क़ुदरती भास्कर देता निदाघ निर्बाध विटामिन डी मुफ़्त।
हो गया शहरी सिटीज़न छाँव का आदी घाम के दर्शन हैं सुकून की वादी। है धूप गायब तहख़ाने हाट-बाज़ार दवाई-दवाई जेब ख़ूब चिल्लाई। लो घुटा इंसान अभिव्यक्ति तलाशती है छायावादी युग प्रगति के सोपान। ये पौधे पोषित पल्लवित पंछी उड़ान प्यारा कलरव धूप का ही साम्राज्य।
जी नमस्ते, आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०२ -११ -२०१९ ) को "सोच ज़माने की "(चर्चा अंक -३५०७) पर भी होगी। चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। आप भी सादर आमंत्रित है …. अनीता सैनी
आपकी इस कविता से एक वाकया याद आ गया। मेरी एक छात्रा की मम्मी मेरे पास शिकायत लेकर आई। "मैम, मेरी बेटी की सीट चेंज करो।" मैंने पूछा, "पर क्यों ? वहाँ से तो बोर्ड भी ठीक दिखता है।" वह बोली, "हाँ, पर वहाँ खिड़की से बड़ी देर तक धूप आती है उसके चेहरे पर। मेरी बेटी काली हो जाएगी।" मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि इस पर मैं हँसूँ या रोऊँ ?
बहुत सुन्दर आदरणीय 👌
जवाब देंहटाएंसादर
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०२ -११ -२०१९ ) को "सोच ज़माने की "(चर्चा अंक -३५०७) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
धूप जो ऊर्जा का स्रोत है प्रकृति की अमूल्य भेंट है
जवाब देंहटाएंशहरी सिटिजन छाया का आदि होकर बीमार होता जा रहा है
चिंतनीय विषय पर बेह्तरीन प्रस्तुति
मशीन ने लिखा पधारें
बहुत सुंदर शिक्षाप्रद वर्ण पिरामिड।
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहह..
जवाब देंहटाएंसादर..
वाह!!!
जवाब देंहटाएंधूप और धूप से हमारी हड्डियों को मिलता विटामिन डी..
बहुत ही सारगर्भित वर्ण पिरामिड।
बढिया पिरामिड और नयाभिराम चित्र जो रचना की विषय वस्तु को सार्थक कर रहे हैं |बधाई और शुभकामनाएं रवीन्द्र भाई |
जवाब देंहटाएंबहुत खूब 👌👌
जवाब देंहटाएंआपकी इस कविता से एक वाकया याद आ गया।
जवाब देंहटाएंमेरी एक छात्रा की मम्मी मेरे पास शिकायत लेकर आई।
"मैम, मेरी बेटी की सीट चेंज करो।"
मैंने पूछा, "पर क्यों ? वहाँ से तो बोर्ड भी ठीक दिखता है।"
वह बोली, "हाँ, पर वहाँ खिड़की से बड़ी देर तक धूप आती है उसके चेहरे पर। मेरी बेटी काली हो जाएगी।"
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि इस पर मैं हँसूँ या रोऊँ ?
धूप तेरे कितने रूप,प्रेरणा देते वर्ण पिरामिड।
जवाब देंहटाएंवर्ण पिरामिड विधा में मैंने कभी कुछ नहीं लिखा । आपके ये सारे पिरामिड बहुत पसंद आये । सार्थक संदेश देते हुए । अंतिम वाला कुछ आशा का संदेश देता हुआ ।
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