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शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

इतरायी नागफनी ख़ुद पर



तान वितान जब
नागफनी ने 
घेरा पूरा खेत,
मरुभूमि ने 
दिली सत्कार किया 
विहँसी भूरी रेत।  

इतरायी 
नागफनी ख़ुद पर 
जब बंध्या-धरती का 
सलोना शृंगार हुई,
सूख गयी जब 
हरियाली चहुओर 
अकाल में पशुओं का 
जीवनरक्षक आहार हुई।  

तन्हा-तन्हा 
जीती रहती नागफनी 
जब खिली हुईं थीं 
रंग-विरंगी फुलवारियाँ,
सुमन-गंध ग़ाएब हुई 
सूख गयीं सारी 
प्यारीं कोमल पंखुड़ियाँ
तब नागफनी ने
व्यथित मन बहलाया 
कम से कम पानी में भी 
दुर्दिन में जीवन जीने का 
झंझावाती मार्ग सुझाया।


© रवीन्द्र सिंह यादव

7 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की शनिवार(२९-०२-२०२०) को शब्द-सृजन-१० ' नागफनी' (चर्चाअंक -३६२६) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय सर सादर प्रणाम 🙏
    बेहद उम्दा सृजन है। नागफनी के माध्यम से आपने एक ओर जल संरक्षण का संदेश दिया तो साथ ही यह भी बता दिया जो कम में जीना जानता हो वही विकट पारिस्थिति में भी संभला रह सकता है। हमारा समाज नागफनी को उतना मान नही देता जितना कोमल,सुंदर,सुगंधित पुष्पों को देता है किंतु आपकी यह रचना इस दो नज़र वाले समाज को यह भी बता रही है कि कोमल पुष्प हो या नागफनी हर किसी का अपना एक महत्वपूर्ण महत्व होता है। इस हेतु हमे दंभ के आसन पर विराजमान होकर किसी की उपेक्षा नही करनी चाहिए।
    ऐसे उत्क्रष्ट सृजन हेतु आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीय सर। और आपको और आपकी कलम को कोटिशः नमन 🙏

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  3. कम से कम पानी में भी
    दुर्दिन में जीवन जीने का
    झंझावाती मार्ग सुझाया।

    बहुत ही सुंदर सृजन सर ,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर सार्थक सृजन।

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  5. सार्थक संदेश देती सुंदर रचना,यहाँ मैं भी अनिताजी की इस बात से सहमत हूँ कि जो कम में जीना जानता हो वही विकट पारिस्थिति में भी संभला रह सकता है। नागफनी एक ऐसा पौधा है जिसने जीने के लिए अपने आपको परिस्थितियों के अनुकूल ढाल लिया। स्वरक्षा के लिए काँटों के शस्त्र निर्मित कर लिए। मैदान छोड़कर भागी नहीं।

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  6. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-१ हेतु नामित की गयी है। )

    'बुधवार' ०४ मार्च २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/


    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।


    आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'

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  7. वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब सृजन है नागफनी पर....सही कहा मीना जी ने...। नागफनी एक ऐसा पौधा है जिसने जीने के लिए अपने आपको परिस्थितियों के अनुकूल ढाल लिया। स्वरक्षा के लिए काँटों के शस्त्र निर्मित कर लिए। मैदान छोड़कर भागी नहीं..
    बहुत ही उत्कृष्ट के लिएबहुत बहुत बधाई आपको।

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