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मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

पतझड़ के बीच



























एक सप्ताह पूर्व 

देखा था उदास पीपल को 

सहते वर्तमान पतझड़ के 

कायाकल्पी कोलाहल को

पातविहीन पीपल 

अनावृत अनमनी लाजवंती 

शाखाएँ-उपशाखाएँ

बेनूर वृक्ष था पीपल

एक-दो शेष थे पीत पात 

लटके थे नीड़ बस छह-सात

आज तो 

सुनहले सुकोमल किसलय 

झीनी हल्की हरी ओढ़नी-से 

लिपट गये हैं 

हवा में लहराते हुए

'करोना लॉक डाउन' को 

बेअसर बताते हुए

पंछी आकर 

पंख फड़फड़ाने लगे हैं 

गिलहरी-गिरगिट-बंदर 

धमा-चौकड़ी मचाने लगे हैं

इनके ललचाए नैना 

मधुयुक्त छत्तों पर लगे हैं    

पीपल के नीचे

एक शहरी बेघर का बसेरा है 

आती-जाती हरेक ऋतु 

उसका नया एक सबेरा है 

उसने समेटकर सहेजकर

उम्मीदों का गट्ठर बाँधे   

रख लीं हैं झरीं सूखीं पत्तियाँ

सूखी लकड़ी संग 

चूल्हा जलाने के लिये।  
  
©रवीन्द्र सिंह यादव



8 टिप्‍पणियां:

  1. .. वाकई में बेनूर हिस्सों को जिया है आपने, इस कविता के द्वारा, पतझड़ तो बस एक बहाना भर है... कविता के द्वारा आशा के नए कौंपले दोबारा उगाना है, lockdown ने भले ही जिंदगी की रफ्तार को थाम दिया लेकिन एक बावरे
    कवि की मन की विचारों को थामना उसके बस की बात नहीं बेहतरीन बिंबों का प्रयोग किया है आपने अपनी कविता में, बहुत ही अच्छा सदुपयोग कर रहे हैं, इस लॉक डाउन पीरियड का आपकी आजकल आने वाली कविताओं में एक ठहराव नजर आ रहा है.. समाज और समय को लेकर एक गहन चिंतन स्पष्टता: दिख रही है....।
    साथ ही साथ सुंदर विंबो का प्रयोग कविता में सुंदर एहसासों का आभास करा रहा है प्रकृति के करीब लेकर जाते हुए कविता को सार्थक बना रहा है।
    रविंद्र जी, एक बात कहना चाहूँगी परिस्थितियों के ऊपर लिखी गई कविता आने वाले समय में कई बार खंगाली जाएगी क्योंकि आज जो इन परिस्थितियों के ऊपर लिखा जा रहा है वह आने वाले समय में नई पीढ़ियों को वास्तविकता से परिचित करवाएगी और लगातार कम अंतराल में आपकी दो बेहतरीन कविताओं से परिचय हुआ यूँँ ही लिखते रहिए ढेर सारी शुभकामनाएं आपको

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  2. वाह!रविन्द्र जी ,क्या बात है ,शानदार सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  3. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(१७-०५-२०२०) को शब्द-सृजन- २१ 'किसलय' (चर्चा अंक-३७०४) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  4. बहुत खूब ,आशा के नए किसलय दोबारा उगाना ही होगा ,सकारात्मक भाव से परिपूर्ण सुंदर सृजन ,सादर नमन सर

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