पेज

पेज (PAGES)

शनिवार, 9 मई 2020

शर्म से लाल हुए गुलमोहर की छांव


जीवन के भयावह झंझावात से 

गुज़र रहे हैं हम 

उजाले धुँधले हुए जाते हैं 

छा रहा अनचीता तम ही तम

उन्हें देखो 

जो भयमुक्त होकर डट गए हैं 

सुरीला संगीत 

फूलोंभरा बिस्तर 

रिश्तों की डोर 

किताबोंभरी अलमारी

मुस्कुराती बांसुरी

शर्म से लाल हुए गुलमोहर की छांव    

परे रख 

आत्मप्रचार से परे 

करोना वायरस से लड़ने 

इस ज़मीं को बेहतर बनाने

अकेले कंधे पर हाथ रखने  

वक़्त की सलवटें मिटाने

जुट गए हैं 

दर्द की बूँदें बरसने के बाद 

इंद्रधनुषी आभा की आस में

जीवन के प्रति अनुराग के बीज  

बस्ती-बस्ती के प्रभामंडल में बोने।

© रवीन्द्र सिंह यादव  


शब्दार्थ     

झंझावात = आँधी, तूफ़ान, प्रचंड वेग से बहती वायु 

अनचीता = सहसा घटित होने वाला,अनचाहा  

7 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(१०-०५-२०२०) को शब्द-सृजन- २० 'गुलमोहर' (चर्चा अंक-३६९७) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  2. आत्मप्रचार से परे
    करोना वायरस से लड़ने
    इस ज़मीं को बेहतर बनाने
    अकेले कंधे पर हाथ रखने
    वक़्त की सलवटें मिटाने
    जुट गए हैं ...
    ऐसे परोपकारियों के दम पर ही मानवता का अस्तित्व कायम है ।
    गुलमोहर के साथ ऐसी भावभीनी रचना को नमन🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! कोरोना कर्मवीरों की शान में क्या खूब लिखी आपने यह कविता। वाह बेहद उम्दा। सादर प्रणाम आदरणीय सर 🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर सृजन सर ,गुलमोहर को देखने का ये नजरिया भी हो सकता हैं,आपके बेहतरीन सोच के लिए सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
  5. कोरोना कर्मवीर और गुलमोहर...
    जेठ की तपती धरा पर गुलमोहर मुस्कराकर छाँव बाँटता है ऐसे ही कोरोना के आतप से परेशान धरा पर कोरोना कर्मवीर अपनी सेवा दे रहे हैं...
    वाह!!!
    अद्भुत लाजवाब सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  6. उन्हें देखो

    जो भयमुक्त होकर डट गए हैं

    सुरीला संगीत

    फूलोंभरा बिस्तर

    रिश्तों की डोर

    किताबोंभरी अलमारी

    मुस्कुराती बांसुरी

    शर्म से लाल हुए गुलमोहर की छांव

    परे रख

    आत्मप्रचार से परे

    करोना वायरस से लड़ने
    बहुत सार्थक सामायिक परिस्थितियों को गुलमोहर से बहुत सुंदर सेसे जोड़ा है ।
    अप्रतिम।

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी का स्वागत है.