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रविवार, 22 नवंबर 2020

अपना-अपना आसमान



पसीने से लथपथ 

बूढ़ा लकड़हारा 

पेड़ काट रहा है

शजर की शाख़ पर 

तार-तार होता 

अपना नशेमन 

अपलक छलछलाई आँखों से 

निहार रही है

एक गौरैया

अंतिम तिनका 

छिन्न-भिन्न होकर गिरने तक 

किसी चमत्कार की प्रतीक्षा में 

विकट चहचहाती रही 

न संगी-साथी आए 

न लकड़हारे को थकन सताए 

चरचराती धवनि के साथ 

ख़ामोश जंगल में 

अनेक पीढ़ियों का साक्षी

कर्णप्रिय कलरव का आकांक्षी

एक विशालकाय पेड़ 

धम्म ध्वनि के साथ धराशायी हुआ 

और बेबस चिड़िया का 

नए ठिकाने की ओर उड़ जाना हुआ। 

© रवीन्द्र सिंह यादव   

18 टिप्‍पणियां:

  1. एक पेड़ कटता है तो सैकड़ों पंछियों के आशियाने उजड़ जाते हैं, ज़मीन प्यासी हो जाती है और रेगिस्तान सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता जाता है. लेकिन हम अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारते रहेंगे, वन-वनस्पति उजाड़ते चले जाएंगे और कंक्रीट के जंगल बसाते चले जाएंगे.

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  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा मंगलवार ( 24-11-2020) को "विश्वास, प्रेम, साहस हैं जीवन के साथी मेरे ।" (चर्चा अंक- 3895) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    "मीना भारद्वाज"

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  3. वाह!अनुज रविन्द्र जी ,बहुत खूब!एक वृक्ष के कटनें से कितने पक्षियों का आशियाना उजड जाता है ..।

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  4. इस भयावह काल में भी क्या बदल सका... चिंतनीय है

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 25 नवंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  7. काश! ये विवशता को कोई समझ पाता ... मर्मस्पर्शी ।

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  8. मन को छूता बहुत ही सुंदर सृजन।
    सराहनीय शब्द चित्र।
    सादर

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  9. ख़ामोश जंगल में

    अनेक पीढ़ियों का साक्षी

    कर्णप्रिय कलरव का आकांक्षी

    एक विशालकाय पेड़

    धम्म ध्वनि के साथ धराशायी हुआ

    और बेबस चिड़िया का

    नए ठिकाने की ओर उड़ जाना हुआ। ......पर्यावरण की समस्या उदधृत करती सुन्दर रचना|

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  10. अपलक छलछलाई आँखों से

    निहार रही है

    एक गौरैया

    अंतिम तिनका

    छिन्न-भिन्न होकर गिरने तक

    किसी चमत्कार की प्रतीक्षा में

    हृदयस्पर्शी रचना

    जवाब देंहटाएं
  11. किसी चमत्कार की प्रतीक्षा में

    विकट चहचहाती रही

    न संगी-साथी आए

    न लकड़हारे को थकन सताए
    ...।सजीव और मार्मिक वर्णन..।बहुत ही दर्द होता है कहीं भी ऐसा दृश्य देखकर..।

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  12. ख़ामोश जंगल में

    अनेक पीढ़ियों का साक्षी

    कर्णप्रिय कलरव का आकांक्षी

    एक विशालकाय पेड़

    धम्म ध्वनि के साथ धराशायी हुआ

    दुखदाई यथार्थ को प्रस्तुत करती वास्तविक कविता

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  13. मेरे ब्लॉग ग़ज़लयात्रा पर आपका स्वागत है। इसमें आप भी शामिल हैं-

    http://ghazalyatra.blogspot.com/2020/12/blog-post.html?m=1
    किसान | अन्नदाता | ग़ज़ल | शायरी
    ग़ज़लों के आईने में किसान
    सादर,
    - डॉ. वर्षा सिंह

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