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शनिवार, 14 जुलाई 2018

एक शरमाया शजर
















वो देखो 

झुका है 

भीगकर 

लचका भी है 

एक शरमाया शजर 

पहली बारिश में तर--तर 

आया कोई  उसके  नीचे 

ख़ुद को बारिश से बचाने 

थमने  लगी  बरसात

माटी की सौंधी गंध 

लगी फ़ज़ा महकाने 

आ गयी चिड़िया भी 

फुदककर बूँदों में नहाने 

बूँदों की सरगम पर 

 
रिमझिम के तराने 

बौराया बादल लगा सुनाने  

जाने किस जानिब से 

लायी किसका सुराग 

आवारा सबा 

सरगोशियों में 

कि  

पनीले पत्तों पर 

सरकती सरसराती 

खनखनाती आती बूँदों से 

उसका भी मन मचल पड़ा

फैलाकर अपना दामन भिगोने।  

© रवीन्द्र सिंह यादव


शब्दार्थ / WORD  MEANINGS 

शजर = पेड़, वृक्ष / Tree 

तर--तर = पूरी तरह भीगा हुआ / COMPLETELY  DRENCHED 

बौराया = पगलाया, भटका हुआ, आम पर बौर आने की स्थिति, मंजरित  / 

जानिब= ओर,तरफ़,दिशा / DIRECTION   

सुराग = रहस्य या अपराध का सूत्र, टोह, खोज, संकेत,सूचना,भनक  / CLUES 

सबा= हवा, सवेरे की हवा / Gentle Breeze 

सरगोशियाँ = कानाफूसी, कान में फुसफुसाना  / WHISPERING, GOSSIP 
  
पनीले = जलयुक्त, पानी से भरे / WATERY 




6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!रविन्द्र जी ,क्या बात है !!
    शरमाया शजर ,
    पहली बारिश में तरबतर ...। बहुत खूब ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर सृजन सर 👌
    माटी की सौंधी गंध

    लगी फ़ज़ा महकाने

    आ गयी चिड़िया भी

    फुदककर बूँदों में नहाने.. .
    वाह !बहुत ख़ूब

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह बहुत सुंदर भाषा लालित्य, हिंदी उर्दू का सांगोपांग समागम।
    बहुत मनोहारी रचना।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ख़ूब दोस्त ! रिमझिम फुहार जैसी आपकी कविता ने तो हमारा अंतर्मन तक भिगो दिया. अब ये छाता किस काम का?

    जवाब देंहटाएं
  5. पनीले पत्तों पर

    सरकती सरसराती

    खनखनाती आती बूँदों से

    उसका भी मन मचल पड़ा

    फैलाकर अपना दामन भिगोने। .... अद्भुत चित्र रविंद्रजी। तर-ब-तर कर दिया आपने वाकई। भला शज़र अब भी न शरमाये और सरगोशियां भी न हो! नामुमकिन!!! बधाई और आभार!!!!!

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