वो देखो
झुका है
भीगकर
लचका भी है
लचका भी है
एक शरमाया शजर
पहली बारिश में तर-ब-तर
आया कोई उसके नीचे
ख़ुद को बारिश से बचाने
थमने लगी बरसात
माटी की सौंधी गंध
लगी फ़ज़ा महकाने
माटी की सौंधी गंध
लगी फ़ज़ा महकाने
आ गयी चिड़िया भी
फुदककर बूँदों में नहाने
बूँदों
की सरगम पर
रिमझिम के तराने
रिमझिम के तराने
बौराया
बादल लगा सुनाने
न जाने किस जानिब से
लायी किसका
सुराग
आवारा
सबा
सरगोशियों में
सरगोशियों में
कि
पनीले
पत्तों पर
सरकती
सरसराती
खनखनाती
आती बूँदों से
उसका भी मन मचल पड़ा
फैलाकर
अपना दामन भिगोने।
© रवीन्द्र सिंह यादव
शब्दार्थ / WORD MEANINGS
शजर = पेड़, वृक्ष / Tree
तर-ब-तर = पूरी तरह भीगा हुआ / COMPLETELY DRENCHED
बौराया = पगलाया, भटका हुआ, आम पर बौर आने की स्थिति, मंजरित /
जानिब= ओर,तरफ़,दिशा / DIRECTION
जानिब= ओर,तरफ़,दिशा / DIRECTION
सुराग = रहस्य या अपराध का सूत्र, टोह, खोज, संकेत,सूचना,भनक / CLUES
सबा= हवा, सवेरे की हवा / Gentle Breeze
सरगोशियाँ = कानाफूसी, कान में फुसफुसाना / WHISPERING, GOSSIP
पनीले = जलयुक्त, पानी से भरे / WATERY
वाह!!रविन्द्र जी ,क्या बात है !!
जवाब देंहटाएंशरमाया शजर ,
पहली बारिश में तरबतर ...। बहुत खूब ।
बहुत ही सुन्दर सृजन सर 👌
जवाब देंहटाएंमाटी की सौंधी गंध
लगी फ़ज़ा महकाने
आ गयी चिड़िया भी
फुदककर बूँदों में नहाने.. .
वाह !बहुत ख़ूब
वाह बहुत सुंदर भाषा लालित्य, हिंदी उर्दू का सांगोपांग समागम।
जवाब देंहटाएंबहुत मनोहारी रचना।
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब दोस्त ! रिमझिम फुहार जैसी आपकी कविता ने तो हमारा अंतर्मन तक भिगो दिया. अब ये छाता किस काम का?
जवाब देंहटाएंपनीले पत्तों पर
जवाब देंहटाएंसरकती सरसराती
खनखनाती आती बूँदों से
उसका भी मन मचल पड़ा
फैलाकर अपना दामन भिगोने। .... अद्भुत चित्र रविंद्रजी। तर-ब-तर कर दिया आपने वाकई। भला शज़र अब भी न शरमाये और सरगोशियां भी न हो! नामुमकिन!!! बधाई और आभार!!!!!