शुक्रवार, 16 जून 2023

सहजबोध

चित्र:महेन्द्र सिंह 

कुसुम कलियाँ 

कदाचित 

कोमलता की कुटिलता को 

कोसती होंगीं  

जब कोई 

पथरीला स्पर्श 

उनकी रूह को छूकर 

खिलने के उपरांत 

मुरझाने का 

सहजबोध लाता होगा। 

© रवीन्द्र सिंह यादव    

रविवार, 4 जून 2023

कविता! तुम्हें जीना ही होगा

कविता!

तुम्हें फिर ज़िंदा होना होगा 

घृणा का सागर पीने हेतु 

प्रेम और वैमनस्य के बीच 

बनना होगा पुनि-पुनि सेतु 

पथराई संवेदना पर 

बिछानी होगी 

मख़मली मिट्टी की चादर 

ओक लगाकर 

पीना होगा 

महासागर-सा अप्रिय अनादर

रोपने होंगे बीज सद्भाव के 

सहेजने होंगे 

किसलय-कलियाँ,कुसुम-पल्लव  

मिटाने होंगे दाग़ नासूर-घाव के 

कविता!

तुम्हें जीना ही होगा 

मूल्यों की पुनर्स्थापना के लिए 

प्रबुद्ध मानवता की संरचना के लिए!

© रवीन्द्र सिंह यादव   

        

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