दो गर्वोन्नत अहंकारी बादल
बढ़ा रहे थे असमय हलचल
मैंने भी देखा उन्हें
नभ में
घुमड़ते-इतराते हुए
डराते-धमकाते हुए
आपस में टकराए
बरस गए
बहकर आ गए
मेरे पाँव तले
नदी की ओर बह चले
लंबा सफ़र तय करेंगे
सागर में जा मिलेंगे।
©रवीन्द्र सिंह यादव
साहित्य समाज का आईना है। भाव, विचार, दृष्टिकोण और अनुभूति का आतंरिक स्पर्श लोकदृष्टि के सर्जक हैं। यह सर्जना मानव मन को प्रभावित करती है और हमें संवेदना के शिखर की ओर ले जाती है। ज़माने की रफ़्तार के साथ ताल-सुर मिलाने का एक प्रयास आज (28-10-2016) अपनी यात्रा आरम्भ करता है...Copyright © रवीन्द्र सिंह यादव All Rights Reserved. Strict No Copy Policy. For Permission contact.
दो गर्वोन्नत अहंकारी बादल
बढ़ा रहे थे असमय हलचल
मैंने भी देखा उन्हें
नभ में
घुमड़ते-इतराते हुए
डराते-धमकाते हुए
आपस में टकराए
बरस गए
बहकर आ गए
मेरे पाँव तले
नदी की ओर बह चले
लंबा सफ़र तय करेंगे
सागर में जा मिलेंगे।
©रवीन्द्र सिंह यादव
रात का काजल कितना काला
भोर प्रतीक्षा-सा हुआ निवाला
देती चिड़िया चूजों को आश्वासन
सूरज निकले तब मिलेगा राशन
अनमनी रवीनाएँ ले-ले जम्हाई
बिखरा देंगीं धूप जो है अलसाई
भूख से लड़ने भरेंगे पंख उड़ान
किसके माफिक हुआ है जहान?
©रवीन्द्र सिंह यादव
शब्दार्थ:
1. निवाला (हिंदी) = कौर,गस्सा,ग्रास
2. राशन / RATION (English) = खाद्यान्न आदि का निश्चित व नियंत्रित मात्रा में वितरण,रसद (अरबी,फ़ारसी)
3. अनमनी (हिंदी) = बेमन से, अप्रसन्न
4.रवीनाएँ = सूरज की किरणें,रश्मियाँ
5.जम्हाई (हिंदी) = उबासी, जागते समय मुँह के खुलने की स्वाभाविक प्रक्रिया,जँभाई (देशज), उच्छ्वास (संस्कृत)
6. अलसाई (हिंदी) = आलसयुक्त,आलस से भरी, सुस्त
7.माफिक (संस्कृत) = अनुकूल,अनुसार, मुवाफ़िक़ (अरबी)
8.जहान/जहाँ (फ़ारसी) = संसार,दुनिया,लोक,जगत्
बालू की भीत बनाने वालो अब मिट्टी की दीवार बना लो संकट संमुख देख उन्मुख हो संघर्ष से विमुख हो गए हो अभिभूत शिथिल काया ले निर्मल नीरव निर...