रविवार, 14 जुलाई 2024

छल

ईवीएम के समाचार पढ़कर 

मुझे स्मरण हो आते हैं शकुनि के प्रबल पासे

वे सत्ता-संपत्ति  के नहीं बल्कि थे रक्त के प्यासे

द्रौपदी द्वारा दुर्योधन का उपहास 

बन गई गले की चुभनभरी फाँस   

शक्ति,साधन,मर्यादा,दर्प और ऐश्वर्य 

शकुनि के पासों के आगे नत-मस्तक

छल बल है निरपराध के लिए घातक  

नियम पालन की नैतिकता से बँधे रहे महारथी चुपचाप  

स्त्री-गरिमा होती तार-तार देखते रहे शीश झुकाए क्रूरता का वीभत्स नाच

इतिहास का असहज सत्य 

तबाही के उपरांत आ खड़ा होता है 

कहता है-

छल आश्रय लेता है 

सहसा अनैतिकता के भंडार में! 

 ©रवीन्द्र सिंह यादव 


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