रविवार, 14 जुलाई 2024

छल

ईवीएम के समाचार पढ़कर 

मुझे स्मरण हो आते हैं शकुनि के प्रबल पासे

वे सत्ता-संपत्ति  के नहीं बल्कि थे रक्त के प्यासे

द्रौपदी द्वारा दुर्योधन का उपहास 

बन गई गले की चुभनभरी फाँस   

शक्ति,साधन,मर्यादा,दर्प और ऐश्वर्य 

शकुनि के पासों के आगे नत-मस्तक

छल बल है निरपराध के लिए घातक  

नियम पालन की नैतिकता से बँधे रहे महारथी चुपचाप  

स्त्री-गरिमा होती तार-तार देखते रहे शीश झुकाए क्रूरता का वीभत्स नाच

इतिहास का असहज सत्य 

तबाही के उपरांत आ खड़ा होता है 

कहता है-

छल आश्रय लेता है 

सहसा अनैतिकता के भंडार में! 

 ©रवीन्द्र सिंह यादव 


15 टिप्‍पणियां:

  1. कटु सत्य, सराहनीय चिंतन,सशक्त अभिव्यक्ति।
    ----
    सिंहासन के युद्ध में
    धन-बल-छल से युक्त प्रंपच से
    सत्ता के सफल व्यापारी
    सक्षम है करने को आज भी
    मानव तस्करी।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १६ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. काफी से अधिक सुंदर
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. काफी से अधिक सुंदर
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रभावशाली लेखन

    जवाब देंहटाएं
  5. कडवा ,परन्तु सच है ....बहुत खूबसूरत सृजन अनुज रविन्द्र जी

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर सृजन

    जवाब देंहटाएं
  7. ईवीएम और शकुनि के छल की कोई संगति तो नहीं है फिर भी आपकी काव्यशैली बहुत अच्छी है उसमें ध्वनित विरोध भी सार्थक है ्

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर सृजन,सत्य को दर्शाती रचना,आदरणीय शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  9. शक्ति,साधन,मर्यादा,दर्प और ऐश्वर्य
    शकुनि के पासों के आगे नत-मस्तक
    छल बल है निरपराध के लिए घातक
    .... बहुत सही .... .. बहुत कुछ नहीं बदला है आज भी ,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  10. छल आश्रय लेता है

    सहसा अनैतिकता के भंडार में!
    बहुत सटीक.. कटु सत्य को उजागर करती बहुत ही चिंतनपरक रचना।

    जवाब देंहटाएं

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