भारत की एक विवश त्रस्त बेटी ने
मई 2002 में
आख़िरी उम्मीद के साथ
आख़िरी उम्मीद के साथ
पितातुल्य
देश के रहबर / प्रधानमंत्री को
गुमनाम ख़त में
अपनी गरिमा और अस्मिता पर
हुई लोमहर्षक बर्बरता
परिवार की अँधश्रद्धा
परिवार की अँधश्रद्धा
पारिवारिक विवशता
ख़तरे में जान ख़ुद व परिवार
साथियों पर हुए घोर अत्याचार
धर्म के नाम पर काला कारोबार
सब कुछ तो लिख दिया था
साफ़-साफ़
साफ़-साफ़
तीन दर्द से चीख़ते पन्नों में
अपने नाम के सिवा।
बस उससे एक भारी भूल (?) हुई
एक प्रति उसने
न्यायालय को भी भेज दी
पीएमओ ख़ामोश रहा
न्यायालय ने
उस ख़त में लिपटी चीख़ को
शिद्दत से महसूस किया
सीबीआई जाँच का आदेश दिया।
भाई भी खोया इस समर में
निडर / संवेदनशील पत्रकार की आहुति हुई
पिता भी चल बसे
एक पीड़ित साथी साथ आई
केस में और जान आयी
देते-देते गवाही
झेलते-झेलते धमकियाँ
छिपाते-छिपाते आँचल में सिसकियाँ
छिपाते-छिपाते आँचल में सिसकियाँ
सामाजिक दुत्कार
घायल मन की चीत्कार
न्याय की उम्मीद के कटोरे रीत गए
न्याय की उम्मीद के कटोरे रीत गए
पंद्रह वर्ष बीत गए।
25 अगस्त 2017
सुकून का दिन आया
जब माननीय जज़ साहब ने
न्याय देकर
अपराधी बाबा को
जेल भिजवाया
एक अपराधी को
कोर्ट तक लाने में देश हिल गया
एक अपराधी को
कोर्ट तक लाने में देश हिल गया
मौत के सौदागरों ने
38 घरों के चराग़ बुझा दिए
ये कैसे इन्होंने आपस में
ख़ूनी सौदे किए ....?
चौंधिया जाती हैं आँखें
तिलिस्म के रेलों में
ख़बर है कि रातभर
मोबाइल फोन बजते रहे
लाशों से लिपटी जेबों में
अपनों के लिए उनके
अपने तड़पते रहे
वीभत्स है मंज़र पंचकुला में
वीभत्स है मंज़र पंचकुला में
अब भी ये लाशें लावारिस पड़ी हैं
महिला, पुरुष, बच्चों कीं
पड़ीं लाशें अधसड़ीं हैं।
एक कवि ह्रदय प्रधानमंत्री भी
कितना मज़बूर/ संवेदनाशून्य (?) होता है
कभी-कभी...!
घाघ चापलूसों से घिरा होता है
हो सकता है
वह ख़त उनकी नज़र से
दूर ही रखा गया हो
अब तो इस निर्लज्जता पर
वक़्त ने खड़े किए सालते सवालों पर
वक़्त ने खड़े किए सालते सवालों पर
भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी (पूर्व प्रधानमंत्री भारत सरकार ) ही
रौशनी डाल सकते हैं।
क्या हम ऐसी जाँबाज़ बेटी
और उसकी साथी को
किसी सरकारी सम्मान की
अनुशंसा कर सकते हैं ?
कदापि नहीं !
कभी नहीं !!
कभी नहीं !!
वे तो जनता के दिलों पर राज करेंगीं!!
सदियों तक उनकी दिलेरी को भारत की मिट्टी याद करेगी !!!
ज़ुल्म-ओ-सितम के
क़िले ढहा देनेवाले
न्याय-युद्ध के सभी बहादुर योद्धाओं को
मेरा शत-शत नमन
न्याय की ख़ुशबू से महकता रहे मेरा चमन।
ज़ुल्म-ओ-सितम के
क़िले ढहा देनेवाले
न्याय-युद्ध के सभी बहादुर योद्धाओं को
मेरा शत-शत नमन
न्याय की ख़ुशबू से महकता रहे मेरा चमन।
#रवीन्द्र सिंह यादव
नोट : प्रस्तुत रचना आज 28-08-2017 / 02:17 AM पर पोस्ट की गई थी। अब समाचार मिला है कि आज दोपहर ढलते अपराधी को 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई गई है जिसका न्यायप्रिय जनता ने स्वागत किया है साथ ही माननीय न्यायाधीश महोदय के प्रति अपना सम्मान जताया है। सरकारी दावा है कि सभी लावारिस लाशों की शिनाख़्त हो चुकी है।
नोट : प्रस्तुत रचना आज 28-08-2017 / 02:17 AM पर पोस्ट की गई थी। अब समाचार मिला है कि आज दोपहर ढलते अपराधी को 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई गई है जिसका न्यायप्रिय जनता ने स्वागत किया है साथ ही माननीय न्यायाधीश महोदय के प्रति अपना सम्मान जताया है। सरकारी दावा है कि सभी लावारिस लाशों की शिनाख़्त हो चुकी है।