दोस्त !
आपकी ज़िन्दगी
ख़ुशियों से
रहे गुलज़ार
राहें रौशन हों सदा
घर-आँगन रहे बहार।
मनहर पयाम
लाती रहे पवन
बग़िया में
क़ाएम रहे
फूल और
माली-सी लगन
सुदूर तक
ग़मों का
साया न हो
साँसें हैं अपनी
तब तक
जुड़ें रहें तार-बेतार ।
पिछला ज़माना
याद है हमको
जब उलझे थे
तूफ़ानों में
लाये थे हम
खे कर कश्ती
है कशिश कितनी
अपने अफ़्सानों में
आते हैं याद
पल वो बार-बार।
दोस्ती के लिए
बाज़ारवाद ने
मुक़र्रर किया
एक दिन
हम करते हैं
इक़रार
बाबरा मन
करता है याद
सुबह-शाम
हर घड़ी-पलछिन
आबाद रहें
रिश्तों के आशियाँ
बहती रहे
भावों की
कल-कल धार।
#रवीन्द्र सिंह यादव
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