सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

पीली चिड़िया

वह आकाश से उतरी  

नीम की फुनगी पर 

हौले से आ बैठी

थोड़ी देर सुस्ताकर   

मुंडेर पर आ बैठी

नन्ही पीली चिड़िया

बसंती धूप की छमछम ने   

बच्चों से कहा देखो 

आई अजनबी चिड़िया 

बच्चे उत्साहित हो 

लगे वीडियो बनाने 

चिड़िया लगी 

प्यारे स्वर में चहचहाने

फुदक-फुदककर 

लगी मुंडेर पर 

मोहिनी नाच दिखाने 

तभी आसमान में 

बाज उड़ता दिया दिखाई

देखकर मासूम बच्चों को 

आ गई सजल रुलाई

पीली चिड़िया ने 

दिखलाई अपनी चतुराई 

छितराई थी छप्पर पर 

लौकी की अनमनी बेल  

शंकु-से मुड़े 

सूखे पीले पत्ते ने 

शिकारी का बिगाड़ा खेल

चुपके से पीली चिड़िया 

शंकु में आ समाई   

डरी सहमी नन्ही जान ने 

चैन की साँस पाई

देखकर यह नज़ारा 

ताली बच्चों ने ख़ूब बजाई।  

© रवीन्द्र सिंह यादव    

 

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

बालू पर लिखा था एक नाम

सिंधु तट पर 

एक सिंदूरी शाम 

गुज़र रही थी

थी बड़ी सुहावनी  

लगता था 

भानु डूब जाएगा 

अकूत जलराशि में 

चलते-चलते 

बालू पर पसरने का 

मन हुआ 

भुरभुरी बालू पर 

दाहिने हाथ की 

तर्जनी से 

एक नाम लिखा 

सिंधु की दहाडतीं 

प्रचंड लहरें 

अपनी ओर आते देख 

तत्परता से लौट आया 

अगली भोर फिर गया 

सुखद अचरज से देखा 

एक घोंघा 

वही नाम 

बालू पर लिख रहा था... 

© रवीन्द्र सिंह यादव


मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

तुम्हें पत्थर होने में कितने वर्ष लगे?


पृथ्वी की उथल-पुथल 

उलट-पलट

कंपन-अँगड़ाई  

परिवर्तन की चेष्टा 

कुछ बिखेरा 

कुछ समेटा

भूकंप 

ज्वालामुखी 

बाढ़ 

वज्रपात 

सब झेलती है 

सहनशीलता से 

धधकती धरती

जीवन मूल्यों की 

फफकती फ़सल 

देख रहा है 

आकाश मरती  

पत्थर का कोयला  

बनने में 

पेड़ों को 

करोड़ों वर्ष लगे

ओस को देखो

गेंहूँ की हरी पत्तियों पर  

सुबह-सुबह सत्य-सी 

धूप बढ़ते-बढ़ते 

चेतना अदृश्य-सी  

मानव रे!

तुम्हारा 

कोई हिसाब है...

जीते जी 

तुम्हें 

पत्थर होने में 

कितने वर्ष लगे? 

©रवीन्द्र सिंह यादव  




गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

जेलों में जिस्म तो क़ैद रहे...

जेलों में 

जिस्म तो क़ैद रहे 

मगर जज़्बात 

आज़ाद रहे

महामूर्खों के 

दिमाग़ की उपज 

बेवक़ूफ़ कीड़े-मकौड़े 

खाए जा रहे

काँटों के बीच 

मनोमालिन्य से परे 

आशावान अंतरात्मा के 

पलते मीठे बेर  

चीख़-चीख़कर

अपने पकने की 

मौसमी ख़बर  

सैटेलाइट को ही 

बार-बार बता रहे

भूख का सवाल 

बड़ा पेचीदा है 

कंप्यूटर में घुसपैठ 

संगीन षडयंत्र के 

सबूत बता रहे। 

© रवीन्द्र सिंह यादव




बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

जीवन के रीते तिरेपन बसंत...

 


जीवन के 

रीते 

तिरेपन बसंत

मेरे बीते 

तिरेपन बसंत  

बसंत की 

प्रतीक्षा का 

हो न कभी अंत

प्रकृति की 

सुकुमारता का 

क्रम-अनुक्रम  

चलता रहे 

अनवरत अनंत 

नई पीढ़ी से पूछो-

कब आया बसंत? 

कब गया बसंत...?  

कलेंडर पत्र-पत्रिकाओं में 

सिमट गया बसंत!

© रवीन्द्र सिंह यादव



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