शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

रोज़गार और नाम-पट्टिका

तुम्हारा शौक 

अब रोज़गार बन चुका है 

पत्थर की खदान का ठेका 

अपने आदमी को मिल चुका है 

पत्थर तराशे जा रहे हैं 

पहाड़ खोदे जा रहे हैं 

तुम्हारे नाम के अक्षर 

पत्थर पर खोदे जा रहे हैं

पत्थर चीख़ रहे हैं

फिर भी 

नई-नई नाम पट्टिकाओं के 

ऑर्डर बुक किए जा रहे हैं...  

© रवीन्द्र सिंह यादव   

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

निरपराध

गुनगुनी अलसाई धूप में  

चील की कर्कश चीत्कार

सुन रहे हैं मासूम कान

विष वमन करते सर्पों को देख 

घर होता जा रहा है मकान  

कोमल मन पर घृणा के घाव देने 

खुल रही है दुकान-दर-दुकान

कैसे जीएगा नन्हा मेमना जीभर 

घेरे खड़ा है भेड़िया, चेहरे पर लिए कुटिल मुस्कान? 

© रवीन्द्र सिंह यादव   


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