गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

वे बच्चे अब कहाँ हैं ?

वे बच्चे अब कहाँ हैं ?

जो रुक जाया करते थे 

रास्ते में पड़े 

असहाय घायल को उठाकर 

यथासंभव मदद करने

वक़्त ज़ाया होने 

कपड़े ख़ून से सन जाने की 

फ़िक्र किए बग़ैर

पवित्र विचारों का 

पौधा रोपते थे  

वे तड़पते घायल का 

सिर्फ़ वीडियो नहीं बनाते थे 

संवेदना के गहरे गीत रचते थे।  

© रवीन्द्र सिंह यादव  

मंगलवार, 13 दिसंबर 2022

लोकतंत्र

आज गनपत शहर आया 

अध्ययनरत बेटे के लिए 

घी, लड्डू, साग लाया 

हफ़्ता बीते मतदान किया था 

चुनावी-स्याही का निशान 

बायें हाथ की तर्जनी पर मौजूद है

बेटे ने टीवी पर समाचार चैनल लगाया 

शपथ-ग्रहण कार्यक्रम का 

सीधा प्रसारण...

सफ़ेदपोश नेतागण

फूल मालाओं के अंबार    

भव्यता की अनावश्यक चमक-दमक 

शाही भोज के सरकारी इंतज़ाम

सख़्त सुरक्षा-व्यवस्था  

एंकर-एंकरनियों, संवाददाताओं का 

अतिशय जोश देखकर 

गनपत अपनी तर्जनी पर लगा 

नीला निशान निहारने लगा

लोकतंत्र की 

बदलती परिभाषा समझने लगा। 

© रवीन्द्र सिंह यादव  

  

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