वे बच्चे अब कहाँ हैं ?
जो रुक जाया करते थे
रास्ते में पड़े
असहाय घायल को उठाकर
यथासंभव मदद करने
वक़्त ज़ाया होने
कपड़े ख़ून से सन जाने की
फ़िक्र किए बग़ैर
पवित्र विचारों का
पौधा रोपते थे
वे तड़पते घायल का
सिर्फ़ वीडियो नहीं बनाते थे
संवेदना के गहरे गीत रचते थे।
© रवीन्द्र सिंह यादव