समाचार आया है -
"इसरो के वैज्ञानिक को मिला 24 साल बाद न्याय"
न्याय के लिये दुरूह संघर्ष
नम्बी नारायण लड़ते रहे चौबीस वर्ष
इसरो जासूसी-काण्ड में
पचास
दिन जेल में
रहे
पुलिसिया यातनाओं के
थर्ड
डिग्री टॉर्चर भी सहे
सत्ता और सियासत के खेल
में
प्रोफ़ेसर नम्बी पहुँचे सलाख़ों के पीछे
क्रायोजेनिक
इंजिन
विकसित करने की दौड़ में
देश चला
गया वर्षों पीछे
1994 में ख़बर पढ़कर
मेरा भी मन खिन्न हुआ था
मीडिया के लिये वैज्ञानिक
सनसनी का जिन्न हुआ था
मीडिया का चरित्र
प्रचार-प्रसार से जुड़ा
है
चरित्र हनन से भी
इसकी तिजोरी में पैसा
जुड़ा है
मीडिया ने 1994 में
महान तन्मयता दिखाई थी
2018 में अब क्यों है
हालत खिसियाई-सी
मैंने भी आपको
तब गद्दार, देशद्रोही,लालची
और जाने क्या-क्या समझा था
काश! मीडिया आज
उन सबको सच बताता
जिन्होंने
वैज्ञानिक को
ग़लत समझा
था
न जाने कितने देशवासी
ग़लतफ़हमी लिये
स्वर्ग सिधार गये
उनके अपने कलंक की कालख
धोते-धोते
जीवनबोध का
मर्म हार गये
जासूसी के आरोप लगे 1994 में
सीबीआई ने क्लीन चिट दी
1996 में
सुप्रीम कोर्ट ने बरी
किया 1998 में
मान-प्रतिष्ठा बहाली, मुआवज़े की
लम्बी लड़ाई
का अंत 2018 में
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर
साज़िश की जाँच होगी
सम्बंधित अधिकारियों से
50 लाख
रुपये की बसूली होगी
हम देखेंगे
वैज्ञानिक प्रतिभा की
हत्या की बात
किसने अपने सर ली होगी
स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजिन
विकसित करने में हुई
देरी से
देश को हुई क्षति की
भरपाई करेगा कौन
विदेशी हाथ होने के
ज़िक्र पर सब रहेंगे मौन
क्रायोजेनिक
इंजन
टेक्नोलॉजी-ट्रांसफ़र समझौता
हुआ 1992 में भारत-रूस के
साथ
अमेरिका ने धमकाया था
बदहाल रूस को
ख़ैरात के एहसान और
एकध्रुवीय महाशक्ति
होने के रसूख़
के साथ
ज़रूरतमंद रूस ने
क्रायोजेनिक तकनीक का
समझौता किया था
235 करोड़ रुपये में
फ़्रांस तैयार था
650 करोड़ रुपये में
चतुर व्यापारी अमेरिका
देना चाहता था
950 करोड़ रुपये में
दवाब में रूस ने
पाँव पीछे खींचे
सौदे के पर खींचे
नम्बी नारायण ने
स्वदेशी क्रायोजेनिक
इंजन
विकसित करने के
तब ख़ाके खींचे
5 जनवरी 2014 को
क्रायोजेनिक इंजन का
परीक्षण भारत में सफल हुआ
अपना उल्लेख ख़बरों में न पाकर
एक वैज्ञानिक भाव विह्वल हुआ
एक वैज्ञानिक को
इंसाफ़ मिलने में
सदी का एक चौथाई
समय ख़र्च होता है
ग़रीब नागरिक तो
ज़िंदगीभर इंसाफ़ के लिये
एड़ियाँ रगड़ते हुए
लाचारी का बोझ ढोता है
हो सके तो
मुझे
माफ़ करना नम्बी!
मेरा नाम भी
उन गुनाहगारों की
लम्बी फ़ेहरिस्त में शामिल है
जो आपको 1994 में
जी भरकर
कोस रहे थे
आपके भारतीय नागरिक होने पर
मन भर मन मसोस
रहे थे......... !
आपको सादर नमन नम्बी!
जो आपने वक़्त की बेरुख़ी
और मानसिक वेदना को
निताँत ख़ामोशी से सहा
अपने भोले देशवासियों को
कुछ
नहीं कहा!!
"रेडी टू फ़ायर" ने हमसे
दिल दहलाती दास्तान का दर्द
शिद्दत से कहा है !!!
© रवीन्द्र सिंह यादव