मढ़ा अब कहीं नहीं दिखता
माटी की भीतों का अँधेरा कक्ष
था बिना झरोखों का होता
बिना दरवाज़ों के घरों में
आँगन में सूखते अनाज को
भेड़-बकरियाँ खा जातीं
माँ को एक उपाय सूझा
तीन सूखीं-सीधीं बल्लियाँ मँगवाईं
एक बल्ली के एक-एक हाथ लंबे
कुल्हाड़ी से टुकड़े करवाए
दो बल्लियों को समानांतर रखा
टुकड़ों को उनपर आड़ा रखकर
ठोक दिया सिलबट्टे से
कील के बड़े भाई कीले को
एक -एक हाथ के अंतर से
मढ़ा की भीत से सटाकर
उपयुक्त कोण पर रखी गई सीढ़ी
बचपन में सीढ़ी पर चढ़कर
मढ़ा की छत पर पहुँचने का रोमांच
ज़ेहन में अब तक कुलाँचें भर रहा है
नई पीढ़ी के लिए सीढ़ी के अनेक विकल्प मौजूद हैं
आड़ी-तिरछी ऊर्ध्वगामी-अधोगामी
सीधी-घुमावदार या फोल्डेबल सीढ़ी
वास्तुशिल्प के अनुरूप आदि-आदि वजूद हैं
सफलता की सीढ़ी
स्वर्ग की सीढ़ी
सभ्यता की सीढ़ी
फ़ायर ब्रिगेड की सीढ़ी
स्वचालित सीढ़ी
बिजली विभाग की सीढ़ी
भवन-मज़दूर की सीढ़ी
दुकानदार की सीढ़ी
कुएँ-बावड़ी की सीढ़ी
पहाड़ों में बने खेत सीढ़ी
सड़क का अतिक्रमण करती सीढ़ी
लताओं-बल्लरियों का सहारा सीढ़ी
पर्वतारोहियों की सीढ़ी
सैनिकों की सीढ़ी
बाढ़ में बने सैनिक सीढ़ी
हवाई जहाज़ की सीढ़ी
हेलीकॉप्टर से लटकती सीढ़ी
चोरों-आतंकवादियों की सीढ़ी
सब सीढ़ियों में श्रेष्ठ रही
दिल में उतरनेवाली सीढ़ी
ख़ुद में झाँकने को बननेवाली काल्पनिक सीढ़ी
जो बनी जान बचानेवाली सीढ़ी।
© रवीन्द्र सिंह यादव