श्रद्धाँजलि !
जला दी गयी अंजलि !
ताँडव करती
ख़ौफ़नाक बर्बरता
चीख़ती-चिल्लाती
कराहती मानवता
ज्वाला में
धधका होगा शरीर
सही गयी होगी
कैसे तपन-पीर
बेख़ौफ़ दरिंदे
क्या संदेश देना चाहते हैं ?
स्त्री को कौन-सा
सबक़ सिखाना चाहते हैं?
न्याय के लिये
भटकते लाचारों को देख
करते हैं अपराधी अट्टहास
लचर व्यवस्था देख-देख!
© रवीन्द्र सिंह यादव
जला दी गयी अंजलि !
ताँडव करती
ख़ौफ़नाक बर्बरता
चीख़ती-चिल्लाती
कराहती मानवता
ज्वाला में
धधका होगा शरीर
सही गयी होगी
कैसे तपन-पीर
बेख़ौफ़ दरिंदे
क्या संदेश देना चाहते हैं ?
स्त्री को कौन-सा
सबक़ सिखाना चाहते हैं?
न्याय के लिये
भटकते लाचारों को देख
करते हैं अपराधी अट्टहास
लचर व्यवस्था देख-देख!
© रवीन्द्र सिंह यादव