पतंगे आएंगे जलने सीने में
जिनके सुलगती आग है बाक़ी ,
सुनो संगीत जीवन का
मनोहर राग है बाक़ी। (1)
भेजा है ख़त बहार ने लिख
आ रही हूँ मैं,
जहाँ पहुँची नहीं दुनिया
अभी एक बाग़ है बाक़ी।
सुनो संगीत जीवन का
मनोहर राग है बाक़ी। (2)
कभी मिलते नहीं साहिल
सिमट जाती हैं दूरियाँ,
सूखी एक नदिया है
समुंदर सा अनुराग है बाक़ी।
सुनो संगीत जीवन का
मनोहर राग है बाक़ी। (3)
चुरा लाओ कहीं से तुम
छलकती आँख का पानी,
धो सकूँ दामन पर लगा
एक गहरा दाग़ है बाकी।
सुनो संगीत जीवन का
मनोहर राग है बाक़ी। (4 )
सैयाद की मर्ज़ी से मायूसियों में
घिर जाना बेहतर नहीं ,
पहुँचो मक़ाम तक महफूज़ है
रहनुमा जो बेदाग़ है बाक़ी।
सुनो संगीत जीवन का
मनोहर राग है बाक़ी । (5)
अंधेरों में सन्नाटों का निज़ाम
डराए जब कभी तुमको
देख लेना आँधियों में भी
जल रहा एक चराग़ है बाक़ी।
सुनो संगीत जीवन का
मनोहर राग है बाक़ी। (6)
बदलेगा वक़्त सुहानी भोर का
सुरमई संगीत लेकर,
निकलेगा चाँद फिर अरमानों का
सहरा में चमन का सुराग है बाक़ी।
सुनो संगीत जीवन का
मनोहर राग है बाक़ी। (7)
मनोहर राग है बाक़ी। (7)
@रवीन्द्र सिंह यादव
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