तेज़ हवा अचानक बही
तो नदी में ऊँची लहरें उठीं
नाविक का आत्मविश्वास
हौले-हौले डगमगाया
तो नाव भी डाँवाँडोल हुई
नाव पर सवार यात्री
मझधार में भयाक्रांत हुए
सभी कुशल तैराक न थे
नाविक का अस्थिर हौसला
बढ़ाने के अतिरिक्त
कोई सार्थक उपाय न था
कोई बोला-
क्या हम सबको डुबाओगे?
ठीक है आप आइये
पतवार थामिए
सबको पार लगाइये
नाविक खीझकर बोला
किनारों पर खड़े
दिलेर तैराक
कूद गये क्रुद्ध लहरों के बीच
सहारा दिया नाव को
घबराये यात्रियों को तसल्ली दी
नाविक का जोश वापस आया
नाव पार लगी
यात्रियों ने जाँबाज़ तैराकों का
आभार माना
अभिनंदन किया
उनकी प्रतिबद्धिता
अब जीवन के प्रति और प्रगाढ़ हो गयी।
© रवीन्द्र सिंह यादव
तो नदी में ऊँची लहरें उठीं
नाविक का आत्मविश्वास
हौले-हौले डगमगाया
तो नाव भी डाँवाँडोल हुई
नाव पर सवार यात्री
मझधार में भयाक्रांत हुए
सभी कुशल तैराक न थे
नाविक का अस्थिर हौसला
बढ़ाने के अतिरिक्त
कोई सार्थक उपाय न था
कोई बोला-
क्या हम सबको डुबाओगे?
ठीक है आप आइये
पतवार थामिए
सबको पार लगाइये
नाविक खीझकर बोला
किनारों पर खड़े
दिलेर तैराक
कूद गये क्रुद्ध लहरों के बीच
सहारा दिया नाव को
घबराये यात्रियों को तसल्ली दी
नाविक का जोश वापस आया
नाव पार लगी
यात्रियों ने जाँबाज़ तैराकों का
आभार माना
अभिनंदन किया
उनकी प्रतिबद्धिता
अब जीवन के प्रति और प्रगाढ़ हो गयी।
© रवीन्द्र सिंह यादव
जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण कोण का समर्थन करती बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंसादर
सकारात्मक सोच दर्शाती सुंदर प्रस्तूति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण
जवाब देंहटाएंहवा लहरों को थाम लेती है और आत्मविश्वास प्रतिबद्धता को!
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (01 -06-2019) को "तम्बाकू दो छोड़" (चर्चा अंक- 3353) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत सार्थक सन्देश !
जवाब देंहटाएंवैसे जो दूसरों को बचाने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाते हैं वो उसका श्रेय बहुत कम बार पाते हैं.
सकारात्मक सोच ही हर मझधार में साथी होता हैं ,बेहतरीन रचना सर ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंवाह!!बहुत खूब!रविन्द्र जी ।
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