रविवार, 22 सितंबर 2019

यह कैसा जश्न है ?



अंगारे आँगन में 

सुलग-दहक रहे हैं, 

पानी लेने परदेश 

जाने की नौबत क्यों ?

न्यायपूर्ण सर्वग्राही 

राम राज्य में 

नारी को इंसाफ़ के लिये 

दर-ब-दर भटकना क्यों?

बाढ़ में सब बह गया 

फ़सलें हुईं तबाह 

विदेशों में जलसों की 

बेहूदा ख़बरें क्यों ?

मीडिया की वाहियात ज़्यादतियाँ 

अब असहनीय हैं 

सिर्फ़ अदालतों के दख्ल पर 

केस होते दर्ज़ क्यों ?

© रवीन्द्र सिंह यादव

5 टिप्‍पणियां:



  1. नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (22-09-2019) को "पाक आज कुख्यात" (चर्चा अंक- 3466) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  2. ज्वलंत प्रश्न।
    उतर नदारद।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!आदरणीय सर ये जो बिना नाम लिए एक के बाद एक आपने मौजूदा सरकार पर गहन प्रश्नचिन्ह लगाए हैं ये सबकी नज़र में ना आए इसीलिए तो ऐसे जश्नों का आयोजन हो रहा है। थोड़ा हो हल्ला थोड़ी चकाचौंध जनता देखेगी तो बीता सब भूलकर फिर वही नमो नमो का जाप करने लगेगी।
    और मीडिया भी तो अपनी वफ़ादारी बखूबी निभा रहा है सबको चश्मा पहनाकर अब जैसा चश्मा वैसा नजारा। अपनी नजर दौड़ाना तो शायद लोगों ने बंद कर दिया है।
    खैर.. आपने जिस अंदाज़ में लिखा है हमने कई बार पढ़ लिया और अब तो हमे याद भी हो गई। हम क्या आपकी सराहना करें बस नारायण से यही प्रर्थना है कि ये प्रश्नचिन्ह यूँ ही लगता रहे और सत्य उजागर होता रहे।
    हार्दिक बधाई ढेरों शुभकामनाएँ
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  4. रविन्द्र जी ,इन प्रश्ननचिन्हों का जवाब किससे माँगें ,समझ से परे है ..। मीडिया की तो बात ही क्या ...बेहुदा खबरों को बढाचढा कर बतानें की होड़ सी लगी रहती है ।मूल समस्याएं जस की तस ..।

    जवाब देंहटाएं

  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 24 सितंबर 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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