रावण का
विस्तृत इतिहास ख़ूब पढ़ा,
तीर चलाये मनभर
प्रतीकात्मक प्रत्यंचा पर चढ़ा।
बुराई पर अच्छाई की
लक्षित / अलक्षित विजय का,
अभियान दो क़दम भी आगे न बढ़ा!
वक़्त की माँग पर
ठिठककर आत्मावलोकन किया,
तो पाया पुरातन परतों में
वर्चस्व का काला दाग़ कढ़ा।
©रवीन्द्र सिंह यादव
कहानियों का क्या है वो तो केवल मनुष्य द्वारा अपने-अपने वर्चस्व को बनाये रखने हेतु कायाकल्पित माध्यम हैं। मैं भी इतिहास लिख रहा हूँ अपने स्वयं के चक्रवर्ती होने का। कक्का ने बताया है कि आज से बीस वर्ष बाद एक तगड़ा भूकंप का झटका आने वाला है सो, मैंने भी अपने श्रेष्ठ होने का प्रमाण एक पोथी में संभालकर रख दिया है। पोथी में कक्का को ख़लनायक होने का तमग़ा थमा दिया है। जब भूकंप के बाद इस पीढ़ी का सर्वनाश हो जायेगा तब आने वाली पीढ़ियाँ मेरी पोथी उस मलबे से बरामद कर मुझे चक्रवर्ती और श्रेष्ठ घोषित कर देंगी और मैं "चक्रवर्ती कलुआ" कहलाऊँगा। मेरे नाम पर भव्य लीला आयोजित की जाएगी और मुझे उस युग का भगवान घोषित किया जायेगा। अब इतिहास का सच किसने पलटा, किसे मालूम और मालूम करने की ज़रूरत भी क्या है ! बड़ी दिक़्क़त होगी सत्य समझने में ! वैसे भी आजकल मेरे पास टाईम की कमी है। अरे भईया ट्रोलिंग भी तो करना है और वाहट्सप यूनिवर्सिटी वाला नया इतिहास भी तो लिखना है। और वैसे भी मुझे वाहट्सप फोबिया वाली बीमारी जो ठहरी ! चलिए आदरणीय रवींद्र जी आप ही जगाते रहिये लोगों को बेहिसाब माथा-पच्ची करके। और अंत में मैं यही कहूँगा ! भई वाह ! बहुत सुन्दर ! अलौकिक ! जय श्री कलुआ ..... बाकी का वाट्सअप युनिवर्सिटी पर झाँक लीजिये। सादर
जवाब देंहटाएंराम और रावण दोनों ही हमारे मन के दरवाज़े पर खड़े रहते हैं बस देखना ये है कि हम स्वागत किसका करते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा आपने आदरणीय सर
सादर नमन
सुप्रभात
बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसच कहा.
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (24-12-2019) को "अब नहीं चलेंगी कुटिल चाल" (चर्चा अंक-3559) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रावण का
जवाब देंहटाएंविस्तृत इतिहास ख़ूब पढ़ा,
तीर चलाये मनभर
प्रतीकात्मक प्रत्यंचा पर चढ़ा।... वाह !बेहतरीन सृजन आदरणीय
सादर