जामिया मिलिया इस्लामिया
विश्वविद्यालय दिल्ली की
लायब्रेरी में दिल्ली पुलिस ने
अपने बर्बर दुस्साहस के साथ
अध्ययनरत शिक्षार्थियों पर
क्रूरतम लाठीचार्ज किया
एक ओर जब दर्द से कराह रहे हैं युवा
तब समाज का एक तबका
अपनी अपार ख़ुशी ज़ाहिर कर रहा है
क्योंकि धर्म विशेष के लोगों को
पूर्वाग्रहों की पृष्ठभूमि में
इरादतन
अपमानित किया जा रहा है
सरकारी मंशा और हरकतों से
संविधान में धार्मिक भेदभाव को
खुला प्रवेश देकर
संसद से पास होकर सीएबी
अब आ गया है सीएए बनकर
बहुसंख्यकवाद आ गया है
दुर्भावना बनकर
सुरक्षा बल संवेदनाविहीन हो रहे हैं
साम्प्रदायिकता घर कर गयी दिमाग़ों में
रह गये हैं वे तो बस
धूर्त राजनीति का हथियार बनकर।
© रवीन्द्र सिंह यादव
चिंता बस कल की है
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