सोती नदी में
एक लहर उठी
किनारे पर आकर
रेत पर एक नाम लिखकर थम गई
दूसरी लहर
किनारे से मिलने चली
रेत पर लिखा नाम
न कर सका और विश्राम
पहली लहर के कलात्मक श्रम को पानी में मिला दिया।
© रवीन्द्र सिंह यादव
साहित्य समाज का आईना है। भाव, विचार, दृष्टिकोण और अनुभूति का आतंरिक स्पर्श लोकदृष्टि के सर्जक हैं। यह सर्जना मानव मन को प्रभावित करती है और हमें संवेदना के शिखर की ओर ले जाती है। ज़माने की रफ़्तार के साथ ताल-सुर मिलाने का एक प्रयास आज (28-10-2016) अपनी यात्रा आरम्भ करता है...Copyright © रवीन्द्र सिंह यादव All Rights Reserved. Strict No Copy Policy. For Permission contact.
बालू की भीत बनाने वालो अब मिट्टी की दीवार बना लो संकट संमुख देख उन्मुख हो संघर्ष से विमुख हो गए हो अभिभूत शिथिल काया ले निर्मल नीरव निर...
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 09-10-2020) को "मन आज उदास है" (चर्चा अंक-3849) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
ये तो दुनिया का क्रम है.
जवाब देंहटाएंअर्थात्?
जवाब देंहटाएंवाह...🌻
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सर फिर एक नई लहर उठेगी और एक नया नाम लिख जाएगी।ज़िंदगी कुछ ऐसा ही फ़लसफ़ा गढ़ती है।
जवाब देंहटाएंसहज सरल प्रवाह लिए सुंदर सृजन।
गजब!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर क्षणिका ।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 20 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंगज़ब
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंक्या बात है, वाह !
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर ,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और गहरी रचना। सुंदर तरीके क्षण- भंगुरता और परिवर्तनशीलता को दर्शाया है। इसे पढ़ कर मुझे श्रीमद्भगवद्गीता का वह प्रसंग याद आ गया जब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा " संसार में सबकुछ अस्थायी और परिवर्तन के अधीन है, केवल परिवर्तन ही शाश्वत है। सुन्दर रचना हृदय से आभार व् आपको सादर नमन।
आपसे अनुरोध है कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आएं। आपके प्रोत्साहन एवं आशीष के लिए आभारी रहूंगी। मैं ने आपके ब्लॉग को फॉलो कर लिया है , अब यहाँ समय निकाल कर आपकी रचनाएँ पढ़ने के लिए आती रहूंगी। पुनः सादर नमन ।
आपने तो गागर में सागर भर दिया आदरणीय सर। जीवन का एक कटु सत्य इतनी सहजता से आपने पंक्तिबद्ध कर दिया। बहुत सुंदर 👌सादर प्रणाम आदरणीय सर 🙏
जवाब देंहटाएंपिछली सरकार की योजनाओं पर पानी फेर कर ही नई सरकार नई योजनाएं बनाती है.
जवाब देंहटाएंजीवन की कटु सच्चाई बहुत सुंदर शब्दों में बयान की है आपने।
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