ग़ौर से देखो गुलशन में
बयाबान का साया है ,
ज़ाहिर-सी बात है
आज फ़ज़ा ने जताया है।
इक दिन मदहोश हवाऐं
कानों में कहती गुज़र गयीं,
उम्मीद-ओ-ख़्वाब का दिया
हमने ही बुझाया है।
आपने अपना खाता नम्बर
विश्वास में किसी को बताया है,
तभी तो तबादला होकर दर्द
आपके हिस्से में आया है।
दर्द अंगड़ाई ले लेकर
जाग उठता है पहर-दर-पहर,
कुछ ब्याज का हिस्सा भी
बरबस आकर समाया है।
आपके तबस्सुम में रहे
वो रंग-ओ-शोख़ियां अब कहाँ ?
उदास तबियत का
दिन-ओ-दिन भारी हुआ सरमाया है।
बिना अनुमति के खाते में
बिना अनुमति के खाते में
न कुछ जोड़ा जाए,
अब जाकर राज़दार का पता
बैंक से की इल्तिजा में बताया है।
#रवीन्द्र सिंह यादव
शब्दार्थ / पर्यायवाची / WORD MEANINGS
ग़ौर से = ध्यान से, TO BE FOCUSED
गुलशन = फूलों का बगीचा / FLOWER GARDEN
बयाबान =जंगल ,वीराना / WILDERNESS
साया = छाया,शरण / SHADOW,SHADE ,SHELTER
फ़ज़ा= वातावरण ,परिवेश /AMBIENCE
फ़ज़ा= वातावरण ,परिवेश /AMBIENCE
खाता =ACCOUNT
ब्याज =INTEREST
तबादला=स्थानांतर,बदली होना / TRANSFER
तबस्सुम =मुस्कराहट / SMILE
शोख़ियाँ =शरारतें / MISCHIEF
सरमाया =पूँजी ,संपत्ति / CAPITAL /WEALTH
राज़दार = राज़/ रहस्य / गुप्त बातें जानने वाला / FAITHFUL
इल्तिजा = विनती ,अनुरोध ,प्रार्थना / REQUEST
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-09-2020) को "दास्तान ए लेखनी " (चर्चा अंक-3819) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
बहुत सुंदर ,
जवाब देंहटाएंबहुत सही सटीक खाका खींचा है आपने ऐसा ही हो रहा है ।
जवाब देंहटाएंसार्थक चेतावनी।
आदरणीय रवींद्र सिंह यादव जी, नमस्ते👏!
जवाब देंहटाएंआपके हर शेर पर वाह कहने को मन करता है। क्या बात है!
दर्द अंगड़ाई ले लेकर
जाग उठता है पहर-दर-पहर,
कुछ ब्याज का हिस्सा भी
बरबस आकर समाया है।
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सादर!--ब्रजेन्द्रनाथ