एक एनजीओ की याचिका पर
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने
भारत सरकार को आदेश दिया
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने
कल 105 क़ानून बनाने वाले आदरणीयों (?) के नाम का
सीलबंद लिफ़ाफ़ा शीर्ष अदालत को सौंप दिया।
इन पर आरोप है कि
चुनाव जीतते ही इनकी संपत्ति में
500 से 1200 प्रतिशत तक का इज़ाफ़ा हुआ है
देश को ऐसा आश्चर्य पहली बार नहीं हुआ है।
100 रुपये पर
10 रुपये बढ़ना 10 प्रतिशत वृद्धि होता है
इनके साथ खड़ा हड़प-तंत्र होता है
कहीं-कहीं 1700 और 5000
प्रतिशत का भी ज़िक्र है
जोकि हमारी आज की सबसे बड़ी फ़िक्र है।
इन सफ़ेदपोशों के नाम बंद लिफ़ाफ़े में क्यों ?
इनके आय के समस्त स्त्रोत गुप्त क्यों ?
इस लूट पर अपनी सरकार है सुप्त क्यों ?
ये ऐसा चमत्कारी फ़ॉर्मूला जनता को नहीं बताते क्यों ?
ये ढोंगी, धूर्त जनसेवक चुनाव-सभा में देशभक्ति गीत बजाते क्यों ?
हम भी जानना चाहते हैं देश ने इन्हें ऐसा हक़ कब दिया था ?
1955 में ही ख्वाजा अहमद अब्बास ने
राजकपूर अभिनीत फिल्म में इन्हें "श्री 420" लिख दिया था।
#रवीन्द्र सिंह यादव
आदरणीय रविन्द्र जी -- बहुत ही प्रासंगिक विषय पर आपकी लेखनी से निकली इस रचना में आतंरिक भाव बहुत ही बेबाकी से मुखर हुआ है | ये कथित '' श्री चार सौ बीस '' अथवा सफेदपोश किसी भी फ़िल्मी कलाकार से भी श्रेष्ठ कलाकार है | कुर्सी मिले तो जनादेश का ढोल पीटते है --- और पराजित हों तो कहेंगे जनता का फैसला सर माथे पर !! सफेदपोशों के पास आय की बढ़ोतरी का वो गुप्त फ़ॉर्मूला और इनके नाम बंद लिफाफों में क्यों ? ये अनुत्तरित प्रश्न हैं | इन्हें कानून का डर नहीं ---- ये इंगित करता है किसी बड़ी हस्ती का वरदहस्त इनके सर पर टिका है | इनकी पोल खुली तो उनकी भी कहाँ रहेगी ? सो ये बंद लिफाफे कभी कोई माँ भारत का शेर खोलेगा जो निर्भय , निस्वार्थी और सच्चा देशभक्त होगा | बिना किसी छद्म के -- तब तक शायद आय बढ़ोतरी का ये आंकडा दस हजार प्रतिशत को पार कर जाये | और सत्तासीन लोग तो बिना प्रयास ही बाइज्जत बरी होते देखे गये हैं | फ़िक्र तो बनती है |
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (13-09-2020) को "सफ़ेदपोशों के नाम बंद लिफ़ाफ़े में क्यों" (चर्चा अंक-3823) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सटीक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदेश को इन्हीं लोगो ने लुटा है
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