साहित्य समाज का आईना है। भाव, विचार, दृष्टिकोण और अनुभूति का आतंरिक स्पर्श लोकदृष्टि के सर्जक हैं। यह सर्जना मानव मन को प्रभावित करती है और हमें संवेदना के शिखर की ओर ले जाती है। ज़माने की रफ़्तार के साथ ताल-सुर मिलाने का एक प्रयास आज (28-10-2016) अपनी यात्रा आरम्भ करता है...Copyright © रवीन्द्र सिंह यादव All Rights Reserved. Strict No Copy Policy. For Permission contact.
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सचमुच ढोंगी नेता ये नहीं जानते कि आज भी शहीदेआज़म के नाम से जाने और माने गए वीर शिरोमणि भगत सिंह को आधिकारिक रूप से शहीद का दर्जा नहीं मिल पाया है | कितनी बड़ी विडम्बना है !!!!!!!!!!! मुखौटों वाले चेहरे कितना भी ढोंग रचा लें बगुला कभी हंस नहीं बन पाता | कितना अच्छा हो सरकार अपनी गलती आज भी सुधार ले और सरकारी कागजों में लिखित रूप में भगत घनफ सिंह को सम्मान देने का प्रयास करे | हालाँकि वे हर भारतवासी के दिल में एक प्रेरणा बन कर बसे हैं --------उन कागजों से कहीं अधिक सम्मानित हैं | आपने सच्ची श्रधान्जली दी है माँ भारत के लाल को | सादर -------------
जवाब देंहटाएंवाहह्हह सार्थक सृजन..रवींद्र जी..भगतसिंह के जीवन आदर्शों और देशभक्ति के बहुमूल्य विचारों को आज युवाओं को आत्मसात करने की आवश्यकता है..स्व से ऊपर उठकर मातृभूमि के लिए क्या कर सकते हैंंं ऐसा सोचे तभी राष्ट्र का उत्थान संभव है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रवीन्द्र सिंह यादव जी !
जवाब देंहटाएंशहीदों के प्रति हमारी भावनाओं को आपने व्यक्त कर दिया. इन तीनों शहीदों के संक्षिप्त किन्तु सार्थक जीवन पर हम जितना गर्व करें, वह कम है. आज के नेतागण इनके पांवों की धूल भी नहीं हैं. अंग्रेज़ों ने जितना अन्याय इनके साथ किया था, आज इनकी स्मृति के साथ उस से कहीं अधिक अन्याय, ये नेतागण कर रहे हैं.
व्यक्ति को मारना आसान है विचार को नहीं".... ये विचार सदियों तक इस माटी की नचिकेता - परंपरा को शाश्वत सजीव बनाए रखेंगे। आभार इस सुंदर रचना का।
जवाब देंहटाएं"व्यक्ति को मारना आसान है विचार को नहीं"...
जवाब देंहटाएंसमसामयिक सुंदर लेखन....
सच कहा आपने विचार कभी नही मरते कोई अनुशरण करो या ना करो शाश्वत हो ब्रहमाण्ड तक अकिंत हो जाते हैं।
जवाब देंहटाएंआज इन विचारों का पालन करता हर देशवासी, तो देश की तस्वीर का रंग कुछ और होता।
अनुपम सृजन समय की धारा के साथ सटीक प्रश्न पुछता हर देशवासी से हर कुर्सी सत्ताधारी से... क्या हमारा मरना सिर्फ मौत थी?......
नमन हुतात्माओं को।
शहिदों के प्रति हर देशवासी की भावनाओं को बहुत ही सुंदर शब्दों में व्यक्त किया हैं आपने, रविंद्र जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आदरणीय
जवाब देंहटाएंसादर
सशक्त रचना
जवाब देंहटाएंदेश भावना की अलख जगाती बहुत ही ओजमयी रचना.. काश आज के युवा भी सही कृत्यों में अपना योगदान देते तो आज राष्ट्र की तस्वीर कुछ और ही होती
जवाब देंहटाएंइन्कलाब जिंदाबाद! साम्राज्यवाद मुर्दाबाद! दुनिया के मजदूरों एक हो!
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