एकाकीपन क्लांत मन को
एकांत में जाने को कहता
कोरोना वायरस महामारी को
हतोत्साह के साथ संसार सहता।
तमस का अंबार है छाया
वक़्त विकट महामारी लाया
5000 लोग काल-कवलित हुए
लाख से ऊपर संक्रमित हुए।
दुनिया में देश जुट गये हैं
अपने-अपने नागरिकों की जान बचाने
सुरक्षा उपायों हेतु
खुल गये हैं सरकारी खज़ाने।
मृत्यु का भय महाविकट रोग है
कालाबाज़ारी का यह कैसा योग है
फ़ेस मास्क सेनिटाइज़र ग़ाएब हुए
मानवता पर क़ुदरत का कठिन प्रयोग है।
© रवीन्द्र सिंह यादव
मानवता पर कुदरत का कठिन प्रयोग है।
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील मन की चितनीय अभिव्यक्ति।
समसामयिक परिस्थितियों पर आपका चिंतन सदैव सराहनीय है।
सादर।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17 -3-2020 ) को मन,मानव और मानवता (चर्चा अंक 3643) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
समय को साधती प्रभावी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन
सादर
पढ़ें- कोरोना
आपसी समझ की सख्त ज़ररुत है
जवाब देंहटाएंबचाव ही दवा है पर अफ़सोस कुछ के ना समझने के कारण बहुतों को नुक्सान झेलना पढ़ रहा है
सामायिक रचना
समसामयिक सृजन , जो मानवता पर छाए कोरोना नाम की विकट आपदा पर व्यापकता से दृष्टिपात करती है। सचमुच ये मानवता पर बहुत ही कठिन प्रयोग है।
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