सोमवार, 8 जनवरी 2018

हवा गर्म हो रही है....


कैसा दौर आया है
आजकल
जिधर देखो उधर
हवा गर्म हो रही है
आया था चमन में
सुकून की साँस लेने
वो देखो शाख़-ए-अमन पर
फ़ाख़्ता बिलख-बिलखकर रो रही है।

दोस्ती का हाथ
बढ़ाया मैंने फूलों की जानिब
नज़र झुकाकर फेर लिया मुँह
शायद नहीं है वक़्त मुनासिब
सितम दम्भ और दरिंदगी के 
सर चढ़कर बोल रहे हैं
पगडंडियों की रेत
अंगारे सर्दियों में हो रही है।

ये ज़र्द सितारे
जो फ़लक से आ गिरे हैं 
ज़ख़्मी ज़मीं पर 
आओ इनमें रौशनी की
शाश्वत किरण ढूँढ़ते हैं
इंसानियत के सूखते
समुंदर में
देखो फिर बरसात हो रही है... !!!
#रवीन्द्र_सिंह_यादव 

शब्दार्थ / Word Meanings -
1. दौर = समय ,युग ,परिधि  / Era ,Age ,Circumference 
2. चमन = फूलों की बग़िया / Flower Garden 
3. सुकून = शान्ति ,चैन ,आराम, निस्तब्धता / Peace ,Rest, Feel Good,                   Tranquility  
4. साँस  = श्वांस, / Breath 
5. शाख़-ए-अमन= शान्ति की डाली / ऐसी शाखा जिस पर शान्ति हो,                               जीवन रूपी  वृक्ष में शान्ति एक शाखा है / Bough of peace
6. फ़ाख़्ता= शांति का प्रतीक कबूतर / कबूतरी  / Dove 
7. जानिब= ओर, तरफ़, सू  / Towards, Side, From, Direction 
8. वक़्त= समय / Time 
9. मुनासिब = उपयुक्त,सही, उचित / Suitable , Proper 
10. सितम= अत्याचार, ज़ुल्म, अन्याय / Injustice ,Outrage ,Oppression
11. दंभ = अहंकार, दर्प, घमंड, मद / Ego 
12. दरिंदगी = ख़ौफ़नाक आचरण ,वहशीपन ,पाशविक आचरण/               Barbarism, Bestiality 
13. सर चढ़कर बोलना = जिसे किसी प्रकार से छिपाया न जा सके / 
Tough to hide 
14. पगडंडियाँ = पैदल चलने के लिए सँकरे रास्ते / 
Foot Paths, By-Ways 
15. रेत = बालू / Sand 
16. अंगारे= शोले / Heated Coals 
17. ज़र्द = पीला / Yellow, Pale 
18. फ़लक = आकाश, नभ, आसमान / Sky ,Heaven 
19. ज़ख़्मी = घायल, चोटिल / Wounded, Hurt 
20. ज़मीं = धरती, धरा, पृथ्वी / Earth, Land 
21. शाश्वत= न मिटने वाला, जो सदा से चला आ रहा हो / Eternal,                             Ageless 
22. इंसानियत = मानवता / Humanity 

23. समुंदर = समुद्र, सागर  / Sea 

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (20-12-2020) को   "जीवन का अनमोल उपहार"  (चर्चा अंक- 3921)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --   
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

    जवाब देंहटाएं
  2. आया था चमन में
    सुकून की साँस लेने
    वो देखो शाख़-ए-अमन पर
    फ़ाख़्ता बिलख-बिलखकर रो रही है।..बेहतरीन सृजन सर।

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी का स्वागत है.

विशिष्ट पोस्ट

अभिभूत

बालू की भीत बनाने वालो  अब मिट्टी की दीवार बना लो संकट संमुख देख  उन्मुख हो  संघर्ष से विमुख हो गए हो  अभिभूत शिथिल काया ले  निर्मल नीरव निर...