कैसा दौर आया है
आजकल
जिधर देखो उधर
हवा गर्म हो रही है
आया था चमन में
सुकून की साँस लेने
वो देखो शाख़-ए-अमन पर
फ़ाख़्ता बिलख-बिलखकर रो रही है।
दोस्ती का हाथ
बढ़ाया मैंने फूलों की जानिब
नज़र झुकाकर फेर लिया मुँह
शायद नहीं है वक़्त मुनासिब
सितम दम्भ और दरिंदगी के
सर चढ़कर बोल रहे हैं
पगडंडियों की रेत
अंगारे सर्दियों में हो रही है।
ये ज़र्द सितारे
जो फ़लक से आ गिरे हैं
ज़ख़्मी ज़मीं पर
आओ इनमें रौशनी की
शाश्वत किरण ढूँढ़ते हैं
इंसानियत के सूखते
समुंदर में
देखो फिर बरसात हो रही है... !!!
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
शब्दार्थ / Word Meanings -
1. दौर = समय ,युग ,परिधि / Era ,Age ,Circumference
2. चमन = फूलों की बग़िया / Flower Garden
3. सुकून = शान्ति ,चैन ,आराम, निस्तब्धता / Peace ,Rest, Feel Good, Tranquility
4. साँस = श्वांस, / Breath
5. शाख़-ए-अमन= शान्ति की डाली / ऐसी शाखा जिस पर शान्ति हो, जीवन रूपी वृक्ष में शान्ति एक शाखा है / Bough of peace
6. फ़ाख़्ता= शांति का प्रतीक कबूतर / कबूतरी / Dove
7. जानिब= ओर, तरफ़, सू / Towards, Side, From, Direction
8. वक़्त= समय / Time
9. मुनासिब = उपयुक्त,सही, उचित / Suitable , Proper
10. सितम= अत्याचार, ज़ुल्म, अन्याय / Injustice ,Outrage ,Oppression
11. दंभ = अहंकार, दर्प, घमंड, मद / Ego
12. दरिंदगी = ख़ौफ़नाक आचरण ,वहशीपन ,पाशविक आचरण/ Barbarism, Bestiality
13. सर चढ़कर बोलना = जिसे किसी प्रकार से छिपाया न जा सके /
Tough to hide
14. पगडंडियाँ = पैदल चलने के लिए सँकरे रास्ते /
Foot Paths, By-Ways
15. रेत = बालू / Sand
16. अंगारे= शोले / Heated Coals
17. ज़र्द = पीला / Yellow, Pale
18. फ़लक = आकाश, नभ, आसमान / Sky ,Heaven
19. ज़ख़्मी = घायल, चोटिल / Wounded, Hurt
20. ज़मीं = धरती, धरा, पृथ्वी / Earth, Land
21. शाश्वत= न मिटने वाला, जो सदा से चला आ रहा हो / Eternal, Ageless
22. इंसानियत = मानवता / Humanity
23. समुंदर = समुद्र, सागर / Sea
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (20-12-2020) को "जीवन का अनमोल उपहार" (चर्चा अंक- 3921) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना...
जवाब देंहटाएंआया था चमन में
जवाब देंहटाएंसुकून की साँस लेने
वो देखो शाख़-ए-अमन पर
फ़ाख़्ता बिलख-बिलखकर रो रही है।..बेहतरीन सृजन सर।
सुन्दर सृजन।
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