चलते-चलते
आज यकायक
दिल में
धक्क-सा हुआ
शायद आज फिर
बज़्म में आपकी
बयां मेरा अफ़साना हुआ
फ़क़त मेरे दिल में हों
बेताबियाँ
ऐसा भी तो नहीं
ख़्वाब में आप भी
कूचा-कूचा
तलाशते हो मुझे
राहत की बात है
हमने अब तक
कुछ तो बचाये रखा है
चिलमन में
लेकर ख़्याल मेरा
न झाँकना आईने में
शैदा ख़ुद पे होने से
ख़ुद को
कैसे रोक पाओगे .....?
मुतमइन बैठा हूँ
मैं तो घने पेड़ की छाँव में
डूबने को जब सूरज हो
सुनसान राहों पर
ख़ुद को बचाकर चलना
कोई रहगुज़र-ए-दिल
तो होगी ज़रूर
जो ले आएगी मुझ तक.........?
#रवीन्द्र सिंह यादव
आज यकायक
दिल में
धक्क-सा हुआ
शायद आज फिर
बज़्म में आपकी
बयां मेरा अफ़साना हुआ
फ़क़त मेरे दिल में हों
बेताबियाँ
ऐसा भी तो नहीं
ख़्वाब में आप भी
कूचा-कूचा
तलाशते हो मुझे
राहत की बात है
हमने अब तक
कुछ तो बचाये रखा है
चिलमन में
लेकर ख़्याल मेरा
न झाँकना आईने में
शैदा ख़ुद पे होने से
ख़ुद को
कैसे रोक पाओगे .....?
मुतमइन बैठा हूँ
मैं तो घने पेड़ की छाँव में
डूबने को जब सूरज हो
सुनसान राहों पर
ख़ुद को बचाकर चलना
कोई रहगुज़र-ए-दिल
तो होगी ज़रूर
जो ले आएगी मुझ तक.........?
#रवीन्द्र सिंह यादव
शब्दार्थ / WORD MEANINGS
1. यकायक = अचानक / All of a sudden
2. बज़्म= गोष्ठी ,महफ़िल / Meeting , Feast
3. फ़क़त= सिर्फ़ / Only
4. कूचा= गली / Lane , Narrow Street
5. चिलमन= पर्दा ,Curtain
6. शैदा= मुग्ध,आसक्त / Enamored
7. मुतमइन = संतुष्ट ,शांतचित्त, Satisfied, Secure,Quiet
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (07-01-2020) को "साथी कभी साथ ना छूटे" (चर्चा अंक-3573) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 21 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है............ पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह !बहुत ही सुंदर।
जवाब देंहटाएंवाह! उर्दू की मिठास से भरी भावपूर्ण रचना। जीवन में उम्मीद बहुत बड़ी चीज है।
जवाब देंहटाएंफ़क़त मेरे दिल में हों
जवाब देंहटाएंबेताबियाँ
ऐसा भी तो नहीं
ख़्वाब में आप भी
कूचा-कूचा
तलाशते हो मुझे
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब।