आपको यह सूचना देते हुए मन हर्षित है कि ऊपर दिया गया लिंक लेखक के तौर पर मेरे प्रथम काव्य संग्रह "प्रिज़्म से निकले रंग" का है जिसे ऑनलाइनगाथा पब्लिकेशन की ओर से प्रकाशित किया गया है।
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साहित्य समाज का आईना है। भाव, विचार, दृष्टिकोण और अनुभूति का आतंरिक स्पर्श लोकदृष्टि के सर्जक हैं। यह सर्जना मानव मन को प्रभावित करती है और हमें संवेदना के शिखर की ओर ले जाती है। ज़माने की रफ़्तार के साथ ताल-सुर मिलाने का एक प्रयास आज (28-10-2016) अपनी यात्रा आरम्भ करता है...Copyright © रवीन्द्र सिंह यादव All Rights Reserved. Strict No Copy Policy. For Permission contact.
बालू की भीत बनाने वालो अब मिट्टी की दीवार बना लो संकट संमुख देख उन्मुख हो संघर्ष से विमुख हो गए हो अभिभूत शिथिल काया ले निर्मल नीरव निर...
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