दिल में
तूफ़ान रहा होगा
आँखों में
दरिया बहा होगा
जब
तितली तूफ़ान
उड़ीसा में
उड़ीसा में
तबाही फैलाकर
ख़ून-पसीने की कमाई से बने
नाज़ुक अरमानों से सजे
आशियाने उजाड़ता
आगे बढ़ा होगा
बचपन और बुढ़ापा
बेबसी के साये में
क़ुदरत के क़हर से
ख़ूब चिढ़ा होगा
हमने अब
सीख लिया है
तूफ़ान से लड़ने का हुनर
राहत में जुटते हैं जवान
आबाद करते हैं गाँव-शहर
ख़ौफ़नाक मंज़र
पैदा करने वाले
चक्रवात को
क्यों दिया है
एक नाज़ुक-सा नाम
एक मासूम सवाल करता है
तितली को क्यों करते हो बदनाम?
आदमी ने बोयी है फ़सल दुश्वारियों की
तूफ़ान तुमने राह क्यों पकड़ी आसानियों की?
© रवीन्द्र सिंह यादव
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