बुज़ुर्गों
ने समझाया था
रात में झाड़ू मत लगाना
घर से लक्ष्मी चली जायेगी
सच कहा था
बिजली
से पहले का ज़माना
था ऐसा मानना
अँधेरे-उजाले धुँधलके में
था ऐसा मानना
अँधेरे-उजाले धुँधलके में
कचरे के साथ
क़ीमती
चीज़ भी जायेगी
आजकल
लम्बे
डंडे में बँधी झाड़ू
विख्यात हो गयी है
सेलिब्रिटी की नाज़ुक
हथेलियों में जो आ गयी है
कई जाँचों से
गुज़रकर
निरापद
होकर
आगे बढ़ती है झाड़ू
पकड़ते
हैं इसे
कैमरे
के सामने
नेता-अभिनेता जुगाड़ू
नक़ली कचरा
मँगवाया
जाता है
साफ़ जगह को
गन्दा
दिखाया जाता है
कमाल के
ढीठ सफ़ाईकर्मी हैं
हमारे
देश में
वीवीआईपी
के आने की
पूर्व
सूचना पर भी
नियत स्थान को
साहब के कहने पर
साफ़ करके
गन्दा दिखने हेतु
प्री-ट्रीटेड
कचरा फैलाते हैं
नाटकीयता से विरत
जो हैं
सुर्ख़ियों से परे
सफ़ाई कार्य में
अनवरत अनुरक्त
उन्हें
मेरा
सादर नमन
मिले उन्हें
यथोचित सम्मान
नाटकीयता से विरत
जो हैं
सुर्ख़ियों से परे
सफ़ाई कार्य में
अनवरत अनुरक्त
उन्हें
मेरा
सादर नमन
मिले उन्हें
यथोचित सम्मान
बापू की स्मृति को
चिरस्थायी बनाने हेतु
चश्मे पर
चिरस्थायी बनाने हेतु
चश्मे पर
लिख दिया है-
"स्वच्छ भारत"
ज़रूरी है-
ज़रूरी है-
दिमाग़ी
कचरा साफ़ हो
साफ़ नियत-नीति की बात हो
ख़ज़ाने
की सफ़ाई में जुटे
लुटेरों
पर लग़ाम हो
सीवर-सफ़ाई का
आधुनिक
इंतज़ाम हो
दिखेगा
तब
स्वच्छ
भारत !
समृद्ध
भारत !!
ज़रा सोचिये!
अभी
कैसा दिख रहा होगा.....
अदृश्य बापू को
अपने चश्मे से
आज का भारत....???
ज़रा सोचिये!
अभी
कैसा दिख रहा होगा.....
अदृश्य बापू को
अपने चश्मे से
आज का भारत....???
© रवीन्द्र सिंह यादव
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (27-09-2020) को "स्वच्छ भारत! समृद्ध भारत!!" (चर्चा अंक-3837) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंदिमागी कचरा साफ़ होना ज्यादा जरूरी है. सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंआ रवींद्र सिंह यादव जी, अच्छी व्यंग्यपूर्ण रचना है। आपकी ये पंक्तियाँ उद्धृत करना चाहूँगा:
जवाब देंहटाएंदिमाग़ी कचरा साफ़ हो
साफ़ नियत-नीति की बात हो
ख़ज़ाने की सफ़ाई में जुटे
लुटेरों पर लग़ाम हो !--ब्रजेन्द्रनाथ